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18 जुलाई 2011

गढ़वाल विवि व डीएवी में तनातनी से बढ़ सकती हैं मुश्किलें

छात्र संख्या के लिहाज से प्रदेश के सबसे बड़े महाविद्यालय डीएवी (पीजी) कालेज व गढ़वाल विविद्यालय के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। डीएवी के शिक्षकों व छात्रों ने विविद्यालय पर भेदभाव व मनमाना रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोलने की तैयारी शुरू कर दी है। उनकी मांग है कि डीएवी को किसी दूसरे विविद्यालय से सम्बद्ध किया जाना चाहिए। करीब तीन हजार छात्रों का परिणाम घोषित न करने के निर्णय से विवि व डीएवी के बीच उपजा विवाद गहराने के आसार बन रहे हैं। मामले में विवि द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट पर पहले ही सवालिया निशान लग चुके हैं। अब मामले में शिक्षक व छात्र एकजुटता के साथ रणनीति तैयार कर रहे हैं। कालेज के निशाने पर भले ही सीधे तौर पर विवि रहेगा लेकिन इनकी नई डिमांड से शासन की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। कारण डीएवी के शिक्षक व छात्र अब गढ़वाल विवि के साथ सम्बद्ध नहीं रहना चाहते हैं। इनका मुख्य जोर इस बात रहेगा कि डीएवी की सम्बद्धता किसी दूसरे विवि से की जाए जो आसान नहीं है। ग्रुटा के महामंत्री डा. डीके त्यागी का कहना है कि विवि लगातार डीएवी समेत अन्य सम्बद्ध कालेजों के साथ भेदभाव कर रहा है। ऐसी स्थिति में कालेजों को अन्य किसी विविद्यालय से सम्बद्ध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय दून विवि से कालेजों को सम्बद्ध करना सबसे बेहतर विकल्प है। जिसकी मांग लंबे समय से की जा रही है। दून विवि के एक्ट में प्रावधान होने के कारण कालेजों को सम्बद्धता देने कोई अड़चन भी नहीं आने वाली है। पूर्व में प्रदेश सरकार ने गढ़वाल मंडल के कालेजों की सम्बद्धता के लिए नई टिहरी में पं. दीनदयाल उपाध्याय विवि स्थापित करने का निर्णय लिया था लेकिन राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिल सकी। कुछ माह पूर्व तत्कालिक राहत के लिए कालेजों को संस्कृत विवि से सम्बद्ध करने की मांग भी उठी, लेकिन कई कालेजों ने इसका विरोध शुरू कर दिया जिससे उक्त मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,18.7.11)।

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