मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

08 जुलाई 2011

डीयूःरामजस में भी एडमिशन रैकेट का भंडाफोड़

फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे चल रहे एडमिशन रैकेट का जाल कैंपस कॉलेजों तक भी फैल चुका है। नॉर्थ कैंपस के रामजस कॉलेज में फर्जी मार्कशीट व डॉक्युमेंट के आधार पर एडमिशन लेने वाले दो कैंडिडेट का खुलासा हुआ है। इनमें से ओबीसी कैटिगरी का एक कैंडिडेट तो इकनॉमिक्स ऑनर्स कोर्स में एडमिशन ले चुका था और जनरल कैटिगरी का दूसरा कैंडिडेट गुरुवार को एडमिशन लेने की कोशिश कर रहा था।

फर्जी व असली में अंतर मुश्किल
खास बात यह है कि इन दोनों कैंडिडेट की फर्जी मार्कशीट और ओरिजनल मार्कशीट में अंतर करना बहुत ही मुश्किल है। फर्जी मार्कशीट को ऐसे तैयार किया गया है कि आसानी से पहचाना न जा सके। कॉलेज प्रिंसिपल ने इस फर्जी एडमिशन की शिकायत मौरिस नगर थाने के एसएचओ से की है और रैकेट में शामिल एक स्टूडेंट को पुलिस के हवाले भी कर दिया है। दोनों कैंडिडेट ने हाई स्कोर वाली मार्कशीट तैयार कराई जबकि इनके मार्क्स कम हैं। दोनों स्टूडेंट्स ने हरियाणा में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों से 12वीं की है और दोनों ही इको ऑनर्स करना चाहते थे।

रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पुलिस को सौंपी अपनी शिकायत में कहा कि पकड़े गए एक स्टूडेंट ने बयान दिया है कि इस रैकेट को चलाने वाले का नाम संजीत दहिया है, जिसने कमला नगर में कमरा किराये पर ले रखा है। वह वहीं पर एडमिशन चाहने वाले स्टूडेंट्स को बुलाता है और फर्जी मार्कशीट के सहारे एडमिशन कराने की कोशिश करता है।


गुरुवार को जो मामला सामने आया, वह संयम अरोड़ा का है, जिसकी मार्कशीट के हिसाब से बेस्ट ऑफ फोर 96.75 है लेकिन जब कॉलेज ने रिजल्ट से वेरिफाई किया तो पता चला कि नंबर काफी कम है। संयम की ओरिजनल मार्कशीट में मैथ्स में 47 नंबर हैं जबकि फजीर् मार्कशीट में 98 नंबर दिखाए गए हैं। इसी तरह से उसके अकाउंट में 79 नंबर है, जिसे बढ़ाकर 97 किया गया है। फर्जी मार्कशीट में में इंग्लिश और इकनॉमिक्स के मार्क्स 96-96 दिखाए गए हैं जबकि असल में यह मार्क्स 79 और 69 हैं। 

खास बात यह है कि संयम खुद एडमिशन लेने नहीं आया बल्कि उसके बदले अनुज शर्मा नाम का स्टूडेंट आया और यहीं पर टीचर को शक हुआ। बाद में अनुज ने बयान दिया कि इस पूरे रैकेट का सरगना संजीत दहिया नामक शख्स है। बताया जाता है कि अनुज किरोड़ीमल कॉलेज में बीकॉम सेकंड ईयर का स्टूडेंट है। यानी एडमिशन रैकेट में डीयू के स्टूडेंट्स को भी शामिल किया जा रहा है। 

ओबीसी सर्टिफिकेट पर शक 
रामजस कॉलेज के वाइस प्रिंसिपल डॉ. पी. एन. दत्ता गुप्ता ने बताया कि दूसरा केस ओबीसी कैटिगरी के स्टूडेंट उज्ज्वल का है, जो इको ऑनर्स में एडमिशन ले चुका था लेकिन उसकी मार्कशीट भी फर्जी पाई गई। उज्ज्वल ने फर्जी मार्कशीट में अपना बेस्ट ऑफ फोर स्कोर 90 दिखाया है जबकि वास्तव में उसके मार्क्स काफी कम हैं। मसलन उसके फिजिक्स में 58 मार्क्स हैं जबकि उसने फजीर् मार्कशीट में 92 मार्क्स दिखाए हैं। इसी तरह से केमिस्ट्री में 66 के बदले 94, मैथ्स में 48 के बदले 95 नंबर दिखाए गए हैं। इसके अलावा उसका जाति प्रमाणपत्र देखकर भी कॉलेज को संदेह हो रहा है कि कहीं यह सर्टिफिकेट भी नकली तो नहीं है। कॉलेज का कहना है कि ऐसे स्टूडेंट्स फर्जी मार्कशीट को लेमिनेट कराकर लाते हैं ताकि गड़बड़ी पकड़ी न जा सके। 

इस बार डीयू में एडमिशन रैकेट के हर रोज नये मामले सामने आ रहे हैं। फर्जी जाति प्रमाणपत्र के बाद सत्यवती कॉलेज में एसटी कैटिगरी के दो स्टूडेंट्स की मार्कशीट फर्जी पाई गई। दयाल सिंह कॉलेज में भी वहां के कर्मचारी पर पैसे लेकर एडमिशन कराने का आरोप लगा है(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,8.7.11)।

अमर उजाला की रिपोर्टः
दिल्ली विश्वविद्यालय की दाखिला प्रक्रिया में इस साल फर्जी दाखिले सामने आने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। विभिन्न कालेजों में हुए फर्जी दाखिलों के खुलासे के बाद बृहस्पतिवार को रामजस कालेज में दो फर्जी दाखिले रंगे हाथों पकड़े गए। दोनों ही दाखिले इकोनॉमिक्स ऑनर्स कोर्स में कराए जा रहे थे और इनमें फर्जी मार्कशीट का इस्तेमाल किया जा रहा था। दो में से एक आरोपी को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया गया है। 


कालेज प्राचार्य डा. राजेंद्र प्रसाद ने इन दाखिलों के आधार पर दावा किया कि डीयू में फर्जी मार्कशीट पर दाखिले कराने वालों का गिरोह सक्रिय है। उन्होंने कालेज में अभी तक हुए सभी दाखिलों के दस्तावेजों की जांच के आदेश दे दिए हैं। प्रसाद ने बताया कि बृहस्पतिवार को दोनों दाखिले बीए इकोनॉमिक्स ऑनर्स कोर्स में कराए जा रहे थे। इनमें से एक दाखिला सामान्य श्रेणी और दूसरा ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत कराया जा रहा था। दस्तावेजों की जांच के दौरान पाया गया कि दोनों दाखिलों के लिए पेश की गई मार्कशीट पूरी तरह फर्जी है। दोनों मार्कशीट में कंप्यूटर से हेराफेरी कर उन पर लेमिनेशन की गई थी। दोनों मार्कशीट में ९० फीसदी से अधिक अंक दर्शाए गए थे।

वहीं, ओबीसी श्रेणी के तहत दाखिला कराने वाले छात्र के जाति प्रमाण पत्र के फर्जी होने की आशंका है। उसकी जांच के लिए उसे संबंधित अथारिटी को भेज दिया गया है। प्रसाद ने फर्जी दाखिले मामले में डीयू के कुछ मौजूदा और पूर्व छात्रों के शामिल होने का भी अंदेशा जाहिर किया है। उन्होंने बताया कि एक दाखिले के जिस आरोपी को पकड़ा गया उसने अपनी पहचान किरोड़ीमल कालेज के बीकॉम पास सेकेंड ईयर के छात्र ए. शर्मा के तौर पर बताई। इस मामले में रामजस के एक पूर्व छात्र का नाम भी सामने आ रहा है। आरोपी ने साफ किया है कि उनके गिरोह में चार सदस्य हैं जिनमें से दो के नाम उसने बता भी दिए हैं।





सभी दाखिलों के दस्तावेजों की पुनः जांच होगी
डा. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि पकड़े गए फर्जी दाखिलों के बाद से वे हैरत में हैं। उन्होंने शक जाहिर किया कि हो सकता है इससे पहले भी कुछ ऐसे दाखिलों में फर्जी दस्तावेज पेश किए गए हों। लिहाजा, उन्होंने बृहस्पतिवार को एक चार सदस्यीय कमेटी गठित कर अभी तक किए गए सभी दाखिलों के दस्तावेजों की पुनः जांच के आदेश जारी कर जल्द से जल्द रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने कहा कि अगर इस तरह के अन्य मामले भी सामने आए तो उनके दाखिले तुरंत रद किए जाएंगे।

डा. राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि जिस तरह एक के बाद एक फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दाखिले का मामला सामने आ रहा है, उसके बाद अब पुलिस को इसमें लिप्त की जड़ों तक पहुंचने की कोशिश करनी चाहिए। मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इसकी सीबीआई जांच करानी चाहिए। इस गिरोह का भांडा फूटना डीयू और उसके कालेजों के लिहाज से बहुत जरूरी है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।