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20 जुलाई 2011

यूपीःप्रमाणपत्र व जन्मतिथि सत्यापन बना कमाई का जरिया

नौकरी पाने के लिए शैक्षिक प्रमाणपत्रों और जन्मतिथियों में धांधली करने वालों से निपटने की केंद्रीय गृह मंत्रालय की कोशिशों को विश्वविद्यालय और शिक्षा बोर्ड कमाई का जरिया बना रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह यह व्यवस्था सुनिश्चित कराएं कि विश्वविद्यालय और शिक्षा बोर्ड केंद्र सरकार की सेवाओं में चयनित अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों और जन्मतिथियों का सत्यापन नि:शुल्क करें। सरकारी सेवाओं में भर्ती के मामलों में अक्सर ऐसे प्रकरण उजागर होते हैं जिनमें नौकरी पाने के लिए अभ्यर्थियों ने फर्जी प्रमाणपत्रों और जन्मतिथियों में हेरफेर का सहारा लिया हो। नियमों के अनुसार शैक्षिक योग्यता और अन्य शर्तें पूरी न करने के बावजूद फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर सरकारी सेवा हासिल करने वाले व्यक्ति को नौकरी में रहने का अधिकार नहीं है। यदि ऐसा व्यक्ति अस्थायी सेवा में चयनित होता है या फिर नौकरी में प्रोबेशन पर होता है तो उसकी सेवाएं समाप्त हो जानी चाहिए। यदि किसी सरकारी सेवक की नौकरी पक्की (स्थायी) होने के बाद यह पता चलता है कि उसने फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये नौकरी हासिल की है तो ऐसे मामलों में आरोपित के खिलाफ नियमानुसार जांच कराई जाती है और आरोप सिद्ध होने के बाद उसे बर्खास्त करने का नियम है। पक्की नौकरी के मामलों में जब भी बर्खास्तगी की कार्यवाही की जाती है तो बर्खास्त किये गए कर्मचारी अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। ऐसे लोगों को अदालत जाने का मौका न मिले और सरकारी महकमों को फिजूल की मुकदमेबाजी न झेलनी पड़े, इसलिए अब सेवा में चयनित होने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्रों और जन्मतिथियों का सत्यापन संबंधित विश्वविद्यालयों और शिक्षा बोर्ड से कराया जाता है। मुख्य सचिव को भेजे गए पत्र में गृह मंत्रालय ने कहा है कि कई विश्वविद्यालय और शिक्षा बोर्ड अभ्यर्थियों के शैक्षिक प्रमाणपत्रों और जन्मतिथियों के सत्यापन के लिए सरकारी विभागों से फीस की मांग करते हैं। पत्र के अनुसार केंद्र सरकार की कोशिश है कि फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिये अयोग्य अभ्यर्थी सरकारी सेवाओं में न चुने जाएं। पत्र में कहा गया है कि सरकार युवाओं को रोजगार देने के लिए प्रयासरत है, लेकिन शिक्षण संस्थाओं का भी यह फर्ज है कि वे प्रमाणपत्रों के सत्यापन के जरिये यह सुनिश्चित करें कि नौकरियों में सिर्फ योग्य अभ्यर्थी चुने जाएं। इससे विश्वविद्यालयों और शिक्षा बोर्ड की साख भी बढ़ती है। पत्र में मुख्य सचिव से विश्वविद्यालयों और शिक्षा बोर्ड को यह सलाह देने की अपेक्षा की गई है कि वे शैक्षिक प्रमाणपत्रों और जन्मतिथियों के सत्यापन के लिए केंद्र सरकार के विभागों से फीस की मांग न करें(राजीव दीक्षित,दैनिक जागरण,लखनऊ,20.7.11)।

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