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04 जुलाई 2011

आईआईएमसी को मिल सकता है ‘राष्ट्रीय महत्व’ के संस्थान का दर्जा

देश का सर्वश्रेष्ठ जनसंचार संस्थान जल्द ही आईआईटी और एम्स जैसे संस्थानों की श्रेणी में आ सकता है क्योंकि सरकार इसे ‘राष्ट्रीय महत्व’ के संस्थान का दर्जा देने पर विचार कर रही है।
संस्थान में एम. ए., एम. फिल और पीएचडी जैसे शैक्षणिक कार्यक्रमों को भी शुरू करने की योजना है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा अगले छह वर्ष के लिए तय की गई रणनीतिक योजना के मुताबिक कानून बनाकर ‘आईआईएमसी को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया जाएगा जिस तरह का दर्जा आईआईटी, एम्स, निफ्ट आदि को प्राप्त है। इस तरह यह डिग्री देने वाला संस्थान बन जाएगा।’
राज्य सरकारों के साथ बातचीत कर उन राज्यों में भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) की नयी शाखाएं खोलने की भी योजना है। राज्यों को इस बात के लिए मनाया जाएगा कि वे दस से 15 एकड़ जमीन नि:शुल्क मुहैया कराएं और वर्ष 2015-16 से पाठ्यक्रमों की शुरुआत के लिए अस्थाई स्थान उपलब्ध कराएं। आईआईएम का मुख्य परिसर दिल्ली में होने के अलावा इसकी एक शाखा फिलहाल उड़ीसा के ढेंकनाल में है और जम्मू-कश्मीर, केरल, मिजोरम और महाराष्ट्र में भी नए क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की योजना है(दैनिक ट्रिब्यून,दिल्ली,4.7.11)।

दैनिक जागरण की रिपोर्टः
देश के प्रमुख जन संचार संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन (आइआइएमसी) को सरकार एम्स (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस) और आइआइटी (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी) जैसे संस्थानों की तरह राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देने पर विचार कर रही है। इसके अलावा आइआइएमसी में एमए, एम फिल और पीएचडी जैसे अतिरिक्त शैक्षणिक कार्यक्रम की शुरुआत करने की योजना भी तैयार की जा रही है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अगले छह वर्षो की योजना के मुताबिक आइआइएमसी को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने के लिए एक विधेयक पारित किया जाएगा। इसके साथ ही इसे उपाधि देने का अधिकार भी दिया जाएगा। योजना में यह भी कहा गया है कि राज्य सरकारों से उनके राज्यों में आइआइएमसी की शाखा खोलने की बात की जाएगी। 2015-16 से पाठ्यक्रम की शुरुआत के लिए राज्यों को अस्थाई रूप से 15 से सोलह एकड़ भूमि आवंटित करने के लिए भी कहा जाएगा। वर्तमान में उड़ीसा के ढेंकनाल में आइआइएमसी की एक क्षेत्रीय शाखा है। संस्थान जम्मू-कश्मीर, केरल, मिजोरम और महाराष्ट्र में शाखा खोलने का प्रस्ताव है। योजना का उद्देश्य आइआइएमसी के नाम और उसके कार्यक्रमों को उसके क्षेत्र के संस्थानों के साथ बातचीत करके बढ़ाने का है। इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सहायता कोष द्वारा शोध एवं प्रशिक्षण के लिए धन पाए जाने पर जोर दिया गया है। इसके अतिरिक्त संस्थान डेवलपमेंट जर्नलिजम, कॉपोरेट कम्यूनिकेशन, और मीडिया मैनेजमेंट में दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम की शुरुआत भी कर सकता है।।

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