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11 जुलाई 2011

यूपीःअनुचर की भर्ती स्क्रीनिंग से,मगर अध्यापक की मेरिट से

जिस उत्तर प्रदेश में मेरिट के आधार पर बीए से एमए में दाखिला नहीं मिलता। बेरोजगारी का आलम ऐसा कि चपरासी की नौकरी के लिए भी स्क्रीनिंग परीक्षा आयोजित करनी पड़ती है। उस प्रदेश में एक पाठ्यक्रम ऐसा भी है जिसमें मिले अंक सीधे सरकारी नौकरी दिलाते हैं। यह बीएड का पाठ्यक्रम है। प्रदेश में बीएड को विशिष्ट दर्जा हासिल है। यह इस पाठ्यक्रम का ही कमाल है कि सरकार के तमाम निर्देशों का खुलेआम उल्लंघन करने, अवैध वसूली करने, शिक्षण से जुड़े तमाम मानकों को धता बताने के बाद भी प्रदेश में आज तक किसी बीएड कालेज के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। यूपी में प्राथमिक पाठशालाओं में मास्टर बनाने के लिए कभी बीटीसी संचालित किया जाता था। यह पाठ्यक्रम जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों के माध्यम से चलता रहा है। नर्सरी में शिक्षक बनाने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ टीचिंग (सीटी) संचालित होता था। सरकारी नौकरी देने वाले इन दोनों पाठ्यक्रमों में चयन राज्य स्तरीय लिखित परीक्षा के आधार पर दिया जाता था। विशिष्ट बीटीसी के साथ ऐसा नहीं रहा। सीधे सरकारी नौकरी देने वाले विशिष्ट बीटीसी में बीएड व स्नातक तक की मेरिट के आधार पर चयन दिया गया। मेरिट से होने वाले इस चयन ने मास्टर बनाने के हजारों करोड़ के इस व्यवसाय को जमकर परवान चढ़ाया है। बीएड कालेज अच्छे अंक देने के नाम पर छात्रों का खुलकर शोषण कर रहे हैं। बीएड कालेज के एक शिक्षक के अनुसार बीएड में छह सौ अंकों की लिखित परीक्षा व तीन से चार सौ अंकों की प्रायोगिक और मौखिक परीक्षा आयोजित होती है। परीक्षा के इस ढांचे ने कालेज प्रबंधन के हाथ में छात्रों की नकेल पकड़ा दी है। यही वजह है कि प्रबंधकों द्वारा मनमाना वसूली के बावजूद छात्र कुछ नहीं कर पाते। आखिर सभी को विशिष्ट बीटीसी में चयन के लिए अच्छे अंक जो लाने हैं। विशिष्ट बीटीसी के चलते भारी भरकम कमाई वाले बीएड कालेज भी खासे विशिष्ट हो गए हैं। पिछले वर्ष ही बीएड के सैकड़ों कालेजों ने खुलकर छात्रों से पैसे की वसूली की। काउंसिलिंग में पूरी फीस जमा करने वाले छात्रों से भी पैसे लिए गए। नि:शुल्क सीट पर दाखिला लेने वाली गरीब छात्राओं, एससी/एसटी छात्रों तक से पूरी फीस रसीद दिए बिना वसूली गई। तमाम शिकायतों के बाद भी उच्च शिक्षा विभाग इन कालेजों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सका। विश्वविद्यालयों से संबद्धता समाप्त करने की चेतावनी तो दिलाई गई, पर किसी भी कालेज की संबद्धता समाप्त नहीं की गई। ..और यह सब कुछ हो रहा है तो सिर्फ इसलिए क्योंकि नौकरी को मिलना है मेरिट के आधार पर। गड़बड़ी तो तय है(एलएन त्रिपाठी,दैनिक जागरण,वाराणसी,11.7.11)।

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