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21 जुलाई 2011

स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहःस्कूल-कॉलेज में हो सिर्फ हेल्दी फूड

हमारे यहां के बच्चे भले ही घर में जिद करते हों कि ‘मुझे पिज्जा, बर्गर या नूडल्स ही खाना है’ लेकिन स्कूल में तो वो पारंपरिक फूड ही ले जाते हैं। वे जानते हैं कि टिफिन में फास्ट फूड तो मिलेगा नहीं इसलिए जिस दिन कुछ और खाने का मन करता है मम्मी से पावभाजी, इडली, डोसा की डिमांड कर देते हैं।

मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर ने पिछले दिनों सभी स्टेट को यह निर्देश दिया कि स्कूल और कॉलेज में फास्ट फूड की बिक्री पर तुरंत रोक लगा दी जाए। लेकिन हमारे शहर के स्कूल और कॉलेज तो इस बात के लिए पहले से ही जागरूक हैं।


हमने अभिभावकों से बात की जिसमें पता चला कि अधिकांश बच्चे टिफिन में पराठा, पूड़ी और सब्जी ले जाना ज्यादा पसंद करते हैं। वहीं ज्यादातर स्कूल और कॉलेज की केंटीन में फास्ट फूड के स्थान पर साउथ इंडियन फूड मिलता है जो टेस्टी होने के साथ ही हेल्दी भी है। हालांकि ये बच्चे स्कूल के अलावा व छुट्टी के दिन फास्ट फूड खाने में पीछे नहीं रहते।

तो लंच की छुट्टी
हमने स्कूल में केंटीन की कोई व्यवस्था ही नहीं रखी। न केंटीन होगी न फास्ट फूड मिलेगा। हम पहले ही दिन से अभिभावकों को एक लेटर दे देते हैं जिसमें लिखा है कि बच्चों को टिफिन में पारंपरिक खाना ही रखें। हमारे यहां ब्रेड लाना भी अलाउ नहीं है। यदि कोई बच्चा किसी दिन फास्ट फूड ले आता है तो उसे दूसरे बच्चों का टिफिन शेयर करने दिया जाता है।
पीएस कालरा, प्रिंसिपल, इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल

एक नजर इधर भी
- फास्ट फूड की खपत में 2008 से 2010 के बीच 7.6 प्रतिशत की ग्रोथ है जो कि 2012 तक 8.6 हो जाएगी।
- मेट्रो सिटी में 85 प्रतिशत पेरेंट्स जिनके बच्चे उम्र 5 साल के आस-पास है महीने में 7-10 बार ईजी टू प्रिपेयर या फास्ट फूड खाने बाहर जाते हैं।

बंद कर दिए नूडल्स
कॉलेज केंटीन में वैसे तो पिज्जा, बर्गर नहीं मिलता है। हां नूडल्स, मंचूरियन जरूर मिलते थे जिसे कुछ दिन पहले ही बंद किया गया है। कचौड़ी, समोसा, चाय, कॉफी यहां पर मिलता है।
बीएस यादव, चेयरमैन, आईईएस ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन

सिर्फ साउथ इंडियन फूड
हमारे यहां केंटीन में इंडियन कॉफी हाउस है। वहां सिर्फ साउथ इंडियन फूड ही दिया जाता है। इसलिए फास्ट फूड मिलने का तो सवाल ही नहीं उठाता। यह हेल्दी भी होता है और स्टूडेंट यहां के मेन्यू को पसंद भी कर रहे हैं।
सविता राजे, रजिस्टार, मैनिट 

सिर्फ शुक्रवार को 
सभी बच्चों के टिफिन पर निगरानी रखना तो संभव नहीं है। हमने कक्षा 1 से 6 के लिए तो नियम बना दिया है कि उन्हें सिर्फ रोटी, पराठा, सब्जी ही लाना है। हमने एक दिन शुक्रवार को थोड़ी छूट दी है जिसमें वे मनचाहा खाना ला सकते हैं। हमारी केंटीन में भी फास्ट फूड नहीं मिलते। समोसा, वेजिटेबल सेंडविच, इडली-सांभर जरूर मिलता है। 
अजय शर्मा, प्रिंसिपल, डीपीएस

बर्गर, नूडल्स यानि एक्स्ट्रा फैट
आहार विशेषज्ञ डॉ. शैलजा त्रिवेदी कहती हैं कि फास्ट फूड से बच्चों में मोटापे की समस्या आ रही है। इससे कम उम्र में ही डायबिटीज की शिकायतें बढ़ रही हैं। यदि एक १क्-१५ साल की उम्र का बच्च नियमित पराठा खाने के अलावा तीसों दिन बर्गर और नूडल्स खा रहा है तो वह २क् प्रतिशत एक्सट्रा फेट रहा है। देखा जा रहै कि जो बच्चे फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं उनमें केल्शियम और हिमाग्लोबिन की कमी पायी गई(दैनिक भास्कर,भोपाल,21.7.11)।

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