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09 जुलाई 2011

उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर योजना आयोग गंभीर

उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा के गिरते स्तर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बाद अब योजना आयोग भी गंभीर है। आयोग ने राज्यों की बैठक 15 जुलाई को बुलाई है ताकि बेहतरी के नए रास्ते खोजे जा सकेंऔर उन्हें बारहवीं पंचवर्षीय योजना में शामिल किया जा सके। इसके पहले आयोग के एक दल ने कई राज्यों का दौरा कर अपना होम वर्क कर लिया है। माना जा रहा है कि इस बैठक के एजेंडे में यही होम वर्क होगा। उल्लेखनीय है कि राज्यों में जिस तरह से उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के कॉलेजों का स्तर गिर रहा है उसकी सच्चाई से आयोग भी अवगत है और पिछले दिनों मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बुलाई बैठक के बाद जो बातें हुई थी उससे और स्पष्ट हो गया था कि देश में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा का बुरा हाल है। इस बैठक में योजना आयोग के लोग भी थे। इसी बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने चिंता व्यक्त करते हुए शिक्षा मंत्रियों से कहा था कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा पर आप लोगों की अलग से बैठक बुलाई जाएगी ताकि सुधार की रूपरेखा तैयार हो सके। आयोग की बैठक के बारे में सभी राज्यों के उच्च शिक्षा सचिवों व उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के अधिकारियों को सूचित किया गया है। उनसे कहा गया है कि वे अपने- अपने राज्यों से उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के सुधार के लिए कुलपतियों व उच्च शिक्षा बोर्ड के अध्यक्षों को पूरी तैयारी के साथ भेजना सुनिश्चित कर दें ताकि पर्याप्त सुधारों के साथ 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए एक मजबूत खाका तैयार किया जा सके। उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जहां राज्यों में डिग्री कॉलेजों का बुरा हाल है वहीं पर शिक्षकों का भी घोर अभाव है। जहां पर छात्र है वहां पर कॉलेज नहीं है और जहां पर कॉलेज है वहां पर शिक्षक नहीं है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आ रहे नएनए पाठयक्रम तक राज्यों के डिग्री कॉलेजों में नहीं है। नए कॉलेज खुल नहीं रहे हैं। राज्यों से छात्र बड़े शहरों या दिल्ली में पढ़ाई करने के लिए भाग रहे है मगर उन्हें दाखिला नहीं मिल रहा है। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में दूसरी तरह की समस्या है। राज्यों में इंजीनियरिंग कॉलेज तो कुकुरमुत्तों की तरह खुल गए है मगर उनमें पढ़ाई पूरी करके निकलने वाले छात्रों को ढंग की नौकरी तक नहीं मिल रही है। पिछले पांच छह वर्षों के हालात देखने के बाद अब इंजीनियरिंग कालेजों में छात्रों द्वारा दाखिलों में खास रुचि नहीं दिखाई जा रही है। कई राज्यों में तो हर साल हजारों सीटें खाली पड़ी रहती है। उच्च शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा के गिरते स्तर पर पिछले दिनों उद्योग एवं व्यापार जगत की सर्वोच्च संस्था फिक्की ने भी चिंता जताते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल को पत्र लिखा था। जिसमें कहा गया था कि उद्योग जगत का 65 फीसद हिस्से को उच्च एवं तकनीकी शिक्षा से सही स्नातक नहीं मिल रहे है और न ही इन कालेजों से निकलने वाले छात्र उद्योगपतियों की कसौटी पर खरे उतर पा रहे है। योजना आयोग में प्रस्तावित बैठक में 11वीं पंच वर्षीय योजना में दिए गए धन आदि पर भी चर्चा होगी। बैठक की अध्यक्षता आयोग के सदस्य (मानव संसाधन विकास) डा. परेंद्र जाधव करेंगे। पहले आम बैठक होगी उसके बाद कुछ बड़े राज्यों की बैठक अलग से होगी(ज्ञानेंद्र सिंह,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,9.7.11)।

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