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03 जुलाई 2011

अध्यापन में करिअर

टीचिंग या अध्यापन को प्राचीन काल से ही सम्मानजनक पेशे के रूप में देखा जाता रहा है। आज भी स्थिति वैसी ही है। सुरक्षित माहौल, अधिक छुट्टियां, बेहतरीन पैकेज आदि कई बातें हैं जो युवाओं को इस प्राफेशन की ओर खींचती हैं। चाहे स्कूल हो या कॉलेज, टीचिंग प्रोफेशन में सफलता के लिए जरूरी है कि किसी अच्छे संस्थान से टीचर्स ट्रेनिंग का कोर्स किया जाए। टीचिंग प्रोफेशन कई स्तरों में बंटा हुआ है। अपनी शैक्षणिक योग्यता और रुचि के मुताबिक आप अपने लिए किसी भी उपयुक्त स्तर का चयन कर सकते हैं।

टीचर कैसे कैसे
प्ले स्कूल टीचर : अत्यंत छोटे बच्चों को शुरुआती ज्ञान देना इनका ही काम होता है। आमतौर से बारहवीं पास से लेकर ग्रेजुएट अभ्यर्थियों को इस प्रकार की टीचिंग में देखा जा सकता है। एलिमेंटरी टीचर्स ट्रेनिंग अथवा होम साइंस की पृष्ठभूमि यहां पर काफी काम आती है। सहूलियत की दृष्टि से इस तरह के जॉब्स की ओर युवतियों का आकर्षित होना स्वाभाविक है।

नर्सरी टीचर : स्कूलों में अक्सर नर्सरी स्तर पर ही 3 या 4 साल की उम्र के बच्चों को एडमिशन मिलता है। स्कूल के माहौल में इतने छोटे बच्चों को एडजस्ट करने से लेकर उनकी हर जरूरतों को ध्यान में रखते हुए थोड़ा-थोड़ा कर पढ़ाना हंसी-खेल नहीं है। यही कारण है कि नर्सरी टीचर ट्रेनिंग ले चुके अभ्यर्थियों को ही इस तरह के पदों पर नियुक्त किया जाता है।

प्राइमरी टीचर : पहली से लेकर पांचवीं तक के बच्चों को पढ़ाने का दायित्व इस स्तर के टीचर्स पर होता है। बीएड सरीखा कोर्स करने के बाद इस तरह के जॉब्स के लिए अप्लाई किया जा सकता है। प्राइवेट के अलावा गवर्नमेंट स्कूलों में भी इस तरह के पदों पर नियुक्तियां होती रहती हैं।

ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर (टीजीटी) : ग्रेजुएशन के बाद बीएड की डिग्री हासिल करने के बाद टीजीटी बना जा सकता है। पे स्केल और अन्य सुविधाओं को देखते हुए यह ग्रेड कम आकर्षक नहीं कहा जा सकता है। छठी से दसवीं तक के विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों को पढ़ाने का जिम्मा इनका होता है।


पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) : सेकेंडरी स्कूल की कक्षाओं सहित सीनियर सेकेंडरी क्लासों में पढ़ाने का दायित्व ये ही टीचर्स निभाते हैं। इनके लिए जरूरी है कि इनके पास किसी खास विषय में एमए, एमएससी या एमकॉम की डिग्री हो तथा साथ ही बीएड की डिग्री भी हो। शिक्षण संस्थानों में उच्च पदों पर पहुंचने का मौका इन्हें ही मिलता है। 

लेक्चरर, रीडर, प्रोफेसर : कॉलेज और यूनिवर्सिटी में अध्यापन के लिए लेक्चरशिप के लिए प्रयास किया जा सकता है। जहां तक शैक्षणिक योग्यता की बात है तो इसके लिए एमफिल, पीएचडी के अलावा नेट परीक्षा पास होना भी आवश्यक है। बाद में अनुभव के आधार पर रीडर और प्रोफेसर बना जा सकता है। 

टीचिंग से संबंधित कोर्सेज
ईटीटी व एनटीटी : प्रत्येक राज्य में डिस्ट्रिक्ट इंस्टीट्यूट फॉर एजुकेशन एेंड ट्रेनिंग (District Institute of Educational Training/DIET) के माध्यम से दो वर्षीय एलिमेंटरी टीचर्स ट्रेनिंग (ईटीटी), नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग (एनटीटी) और जूनियर बेसिक टीचर्स ट्रेनिंग (जेबीटी) कोर्सेज का आयोजन किया जाता है। कुछ संस्थान 12वीं के अंकों के आधार पर तो कुछ संस्थान एंट्रेंस एग्जाम के जरिये एडमिशन देते हैं। इन एग्जाम्स में आमतौर से करंट अफेयर्स, जनरल स्टडीज, इंग्लिश, हिंदी, टीचिंग एप्टीट्यूड, साइंस, मैथ्स और रीजनिंग पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं।

बीएलएड : बैचलर ऑफ एलिमेंटरी एजुकेशन या बीएलएड कोर्स में 12वीं के बाद दाखिला पाया जा सकता है। यह चार वर्षीय कोर्स है और इसमें चयन परीक्षा के आधार पर एडमिशन देने का प्रावधान है। फिलहाल देश के गिने-चुने विश्वविद्यालयों, जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय आदि में यह विशिष्ट कोर्स संचालित किया जा रहा है। इसके एंट्रेंस एग्जाम में रीजनिंग और सब्जेक्ट नॉलेज (दसवीं तक), एप्टीट्यूड एंड एटीच्यूड तथा भाषा पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। इसके अलावा सब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न लेखन प्रवाह की जांच पर आधारित होते हैं। 

बीएड : बैचलर ऑफ एजुकेशन कोर्स में दाखिला ग्रेजुएशन की डिग्री के बाद ही संभव है। इसकी चयन परीक्षा में शामिल होने के लिए कई संस्थानों में डिग्री स्तर पर कम से कम 50 प्रतिशत अंकों का प्रावधान है। चयन परीक्षा में रीजनिंग स्किल, लैंग्वेज स्किल और एप्टीट्यूड पर आधारित अधिकांश प्रश्न पूछे जाते हैं। नियमित कोर्स के अलावा डिस्टेंस एजुकेशन के माध्यम से भी बीएड कोर्स किया जा सकता है, लेकिन यह सुविधा सिर्फ कार्यरत टीचर्स को ही दी जाती है। डिस्टेंस एजुकेशन से बीएड करवाने वाले प्रमुख संस्थानों में अन्नामलाई यूनिवर्सिटी, मदुरई कामराज यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु यूनिवर्सिटी, आन्ध्र यूनिवर्सिटी आदि शामिल हैं।

एमएड : बीएड के बाद मास्टर्स इन एजुकेशन या एमएड कोर्स किया जा सकता है। यह कोर्स पार्ट टाइम आधार पर भी दो साल में पूरा किया जा सकता है।

एमफिल/पीएचडी : इस तरह की डिग्री हासिल करने के 
बाद टीचिंग, लेक्चरशिप अथवा रिसर्च के क्षेत्र में कैरियर बनाना अधिक सुविधाजनक हो जाता है।

टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी)
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) ने अब समस्त सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने के लिए अध्यापन योग्यता परीक्षा की शुरुआत की है। बीएड धारक युवा ही इस परीक्षा में शामिल हो सकते हैं। टीईटी में सफल (कम से कम 60 प्रतिशत अंक लाने वाले) प्रत्याशी ही अध्यापक की नौकरियां पा सकेंगे। चूंकि यह परीक्षा स्टेट स्तर पर आयोजित की जायेगी, इसीलिए इसका नाम स्टेट लेवल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (एसटीईटी) रखा गया है। इस परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रयासों की कोई सीमा नहीं रखी गयी है। परीक्षा में सिर्फ दो प्रश्न-पत्र ही होंगे और प्रत्येक में बहुविकल्पी (मल्टिपल च्वॉयस) 150 प्रश्न होंगे। पहला पेपर सिर्फ वे लोग ही देंगे जो कक्षा 1 से 5 तक की टीचिंग में दिलचस्पी रखते हैं, जबकि दूसरा पेपर ऐसे प्रत्याशी दे सकते हैं, जो कक्षा 6 से 12 तक पढ़ाने के इच्छुक होंगे। एक तीसरा ऑप्शन भी है जिसके अनुसार प्रत्याशी दोनों ही पेपर्स में शामिल हो सकते हैं। विस्तृत जानकारी के लिए आप वेबसाइट www.ncte-india.org पर विजिट कर सकते हैं(अशोक सिंह,अमर उजाला,29.6.11)।

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