मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

16 जुलाई 2011

जॉब बदलें तो सैलरी अकाउंट बंद कराएं

यदि आप नौकरी बदल रहे हैं तो अपना सैलरी अकाउंट जरूर बंद करा दें। थोड़ी सी लापरवाही के कारण आपके खाते में जमा रकम डूब सकती है। बाद में आप खाते की जानकारी करने जाएं तो हो सकता है कि बैंक आपको कर्जदार साबित कर दे। जीरो बैलेंस के नए फंडे से बैंक हर साल करोड़ों रुपए के वारेन् यारे कर रहे हैं। गुड़गांव स्थित एक कंपनी में काम करने वाले अजय को कुछ ऐसे ही हालातों का सामना करना पड़ा। अजय का यहां एक निजी बैंक में सेलरी अकाउंट था। करीब दो साल पहले वह नौकरी बदल कर बेंगलुरू चले गए। तब उनके खाते में पांच हजार रुपए जमा थे। कार्य की व्यस्तता में वह इस खाते के बारे में भूल गए। फिर से गुड़गांव आने पर उन्होंने बैंक में आकर संपर्क किया तो उन पर 1800 रुपए बकाया निकाल दिया गया। बैंक अधिकारियों ने साफ शब्दों में कहा कि यह राशि जमा कराने के बाद ही आपका खाता चालू होगा। यह तो महज एक बानगी है। अजय जैसे बहुत सारे लोगों को आए दिन ऐसे ही हालातों से दो-चार होना पड़ता है। दरअसल कारोबार बढ़ाने की प्रतिस्पर्धा में लगभग सभी बैंक कंपनियों में जाकर अपने यहां सैलरी अकाउंट खुलवाने की पेशकश करते हैं। इस मामले में निजी क्षेत्र के बैंक काफी आगे हैं। यह खाता जीरो बैलेंस पर खोला जाता है। बैंकों के कारिंदे दूसरे बैंकों में चल रहे वेतन खातों को भी अपने यहां जोड़ने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसे में बहुत सारे कर्मचारी अपने पहले वाले खाते को बंद नहीं कराते। ऐसे लोगों की रकम डूब जाती है। कॉल सेंटर और कम सेलरी वाले लोग ऐसी घटनाओं के ज्यादा शिकार होते हैं। बैंकिंग नियमों के अनुसार जिस खाते में हर माह वेतन जाता है, वही खाता ‘सेलरी अकाउंट’ माना जाता है। सैलरी ट्रांसफर न होने पर यह बचत खाते की श्रेणी में आ जाता है। महंगाई के दौर जाहिर तौर बड़ी तादाद में कर्मचारियों के खाते में 10 हजार रुपए से कम ही नकदी होती है। बैंक ग्राहक की इसी मजबूरी का फायदा उठाते हैं। निजी क्षेत्र के लगभग सभी बैंकों में बचत खाते में न्यूनतम 10 हजार रुपए जमा होने का नियम है। इससे कम राशि होने पर बैंक प्रति तिमाही 750 रुपए जुर्माना वसूलते हैं। सर्विस टैक्स जोड़कर यह राशि 850 रुपए से ज्यादा हो जाती है। इस एवज में बैंक एक साल में करीब 3500 रुपए की कटौती कर लेते हैं। इस हिसाब से ग्राहक की दो-ढाई साल में 10 हजार रुपए तक की जमा पूंजी पूरी तरह से डूब जाती है। इस तरह की कटौती सरकारी बैंक भी करते हैं लेकिन उनके जुर्माने की राशि प्रति तिमाही 100 से 200 रुपए के बीच होती है। बैंकों को सिर्फ इतन से ही संतुष्टि नहीं मिलती। जमा शून्य होने पर भी ऐसे ग्राहकों पर जुर्माना लगता रहता है। बैंक इस राशि को बकाए के रूप में दर्शाते रहते हैं। इस स्थिति में यदि आपको यह खाता चालू कराना है तो बकाया राशि जमा करानी ही होगी। एक निजी बैंक के शीर्ष अधिकारी ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि बैंकों की कमाई का यह एक अच्छा जरिया बन गया है जिसमें हर साल अच्छा-खासा इजाफा हो रहा है। गैर जरूरी सेलरी अकाउंट बंद न कराने वाले लोगों को भविष्य में और बड़ी मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है। फिलहाल बैंक जीरो बैलेंस होने पर कुछ माह बाद खाता बंद कर देते हैं। भविष्य में यह जुर्माने की राशि लंबे समय तक जोड़ी जा सकती है जो लोग इसे जमा नहीं कराएंगे बैंक उन्हें डिफाल्टर घोषित कर सकते हैं(देवेन्द्र शर्मा,राष्ट्रीय सहारा,16.7.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।