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18 जुलाई 2011

उत्तराखंडःमेडिकल सीट प्रोविजनल तौर पर आवंटित करने से रोष

यूपीएमटी की पहली काउंसिलिंग में 30 से अधिक अभ्यर्थियों को प्रोविजनल तौर पर मेडिकल सीट आवंटित करने पर भारतीय शुद्र संघ ने रोष जताया है। संघ की रविवार को हुई बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रीतम सिंह कुलवंशी ने कहा कि प्रवेश के समय मूल निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल) जमा करने की शर्त भी राज्य सरकार का तुगलकी फरमान है। उन्होंने कहा कि छात्रों को प्रोविजनल तौर पर सीट इसलिए आवंटित की गई है कि वे उत्तराखंड राज्य के निवासी तो हैं लेकिन उन्होंने 10वीं और 12वीं की शिक्षा किसी अन्य राज्य से ग्रहण की है। मूल निवासी कौन होगा यह उच्च न्यायालय नैनीताल ने पहले ही धर्मेन्द्र प्रसाद बनाम उत्तराखंड राज्य एवं मनीषा भारती बनाम उत्तराखंड राज्य में निर्णित कर रखा है किन्तु राज्य सरकार ने इन दोनों ही केसों में हारने के बावजूद कोई सबक नहीं सीखा। एक षडयंत्र के तहत राज्य के निवासियों का शिक्षण संस्थाओं एवं सरकारी रोजगार में प्रवेश से वंचित किया जाना लगातार जारी है। सरकार की आंखें खोलने के लिए मूल निवास प्रमाणपत्र एवं जाति प्रमाणपत्र जारी न करने के संबंध में भारतीय जन सेवा समिति की तरफ से दाखिल एक अन्य याचिका उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। ऐसे में सरकार को ईमानदारी से अपना पक्ष रखना चाहिए और शिक्षण संस्थाओं एवं सरकारी रोजगार में प्रवेश करने के लिए मूल निवास प्रमाण पत्र एवं जाति प्रमाण पत्र से संबंधित बाधाओं को तब तक औपबंधिक बनाकर निराकरण करना चाहिए। जिन नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए सरकार नई-नई नीतियां बनाने का दम भरती है उनका और अधिक शोषण न हो सके(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,18.7.11)।

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