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06 जुलाई 2011

डीयूःकॉलेज तक भी पहुँच सकती है फर्जीवाड़े की आंच

फर्जी दस्तावेजों के सहारे अनुसूचित जाति-जनजाति के दाखिले अंजाम देने वाले दिल्ली विश्वविद्यालय के विशेष सेल के कर्मचारी संजीव महाजन की श्यामलाल कॉलेज में सक्रियता के चलते अब कॉलेज पर भी जांच की आंच आ सकती है।

पुलिस जांच में यह साफ हो चुका है कि संजीव महाजन पिछले कई सालों फर्जी दस्तावेजों के सहारे कोटे के दाखिलों के लिए सामान्य श्रेणी के छात्रों की एंट्री श्यामलाल कॉलेज के रास्ते कराता था। अब जांच का विषय यह है कि आखिर इस केन्द्र पर उसकी सक्रियता का कारण क्या था।

उधर, कॉलेज प्रबंधन तो पहले ही दिन से इस प्रकरण से अपना पल्ला झाड़ता नजर आ रहा है। कॉलेज का कहना है कि उनके यहां पंजीकरण केन्द्र तो जरूर बनता है, लेकिन उनका इस प्रक्रिया से कोई सम्बंध नहीं रहता है।

कॉलेज सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फर्जीवाड़े में मुख्य आरोपी हिमांशु गुप्ता और डीयू एससी-एसटी सेल के कर्मचारी संजीव महाजन के बीच अच्छा सम्पर्क था। दोनों मिलकर फर्जी दाखिलों को अंजाम देते थे और इसके लिए श्यामलाल कॉलेज केन्द्र का इस्तेमाल किया जाता था।

पुलिस जांच में भी यही तथ्य उभरकर सामने आया है कि आर्ट्स फैकल्टी उत्तरी परिसर, डिप्टी डीन छात्र कल्याण कार्यालय सॉउथ कैम्पस, राजधानी कॉलेज सहित श्यामलाल कॉलेज में बने चार पंजीकरण केन्द्रों में श्यामलाल कॉलेज से ही सबसे ज्यादा फर्जी दस्तावेज दाखिला प्रक्रिया में शामिल हुए हैं।


सूत्रों का यह भी कहना है कि कहीं न कहीं इस समूचे प्रकरण में कॉलेज की भूमिका भी संदेह के घेरे में है और जांच की आंच यहां के शिक्षकों पर भी आ सकती है। इसकी वजह कॉलेज की कोटे की दाखिला प्रक्रिया से लाइजनिंग ऑफिसर को पूरी तरह से अलग रखना है। 

इस बाबत जब कॉलेज के शिक्षक डॉ. प्रवीन कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि श्यामलाल कॉलेज में एससी-एसटी के दाखिले के लिए पंजीकरण जरूर होता है, लेकिन कॉलेज सिर्फ युनिवर्सिटी को जगह प्रदान करता है, कर्मचारी व प्रक्रिया पर पूरा नियंत्रण तो विश्वविद्यालय का ही होता है। 

इसी तरह, लाइजनिंग ऑफिसर डॉ. सनोज कुमार से जब इस विषय में पूछा गया तो उनका कहना था कि प्रक्रिया में खामी तो रही ही होगी, क्योंकि इतने बड़े स्तर पर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया है। अब तो यह जांच के बाद ही पता चलेगा कि कौन, कहां, किस स्तर तक इससे जुड़ा हुआ है(दैनिक भास्कर,दिल्ली,6.7.11)।

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