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23 जुलाई 2011

यूपीःहजारों की फीस व सर्टिफिकेट दाबे हैं इंजीनियरिंग कालेज

यूपी के 203 इंजीनियरिंग और तकनीकी संस्थान ऐसे हैं, जो प्राविधिक विवि के दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए हजारों छात्रों की फीस और मूल प्रमाणपत्र दबाए बैठे हैं। प्रशासनिक स्तर पर तमाम खतो-किताबत व विस में मामला उठने के बाद भी इन संस्थानों पर कोई असर नहीं पड़ा। ऐसे में गौतम बुद्ध प्राविधिक विवि प्रशासन ने संबंधित संस्थानों को 25 जुलाई तक की मोहलत दी है। प्राविवि ने तय किया है कि इसके बाद भी ब्योरा नहीं मिला, तो संबंधित संस्थानों की संबद्धता रद करने संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया जाएगा। यह पूरा मामला 2008 का है। उत्तर प्रदेश प्राविधिक विवि, लखनऊ की ओर से 12 से 16 सितंबर, 08 के बीच कराई गई द्वितीय काउंसिलिंग में कई छात्रों का प्रवेश दूसरी संस्थाओं में हो गया था, जहां उन्होंने एडमीशन भी ले लिया। इन छात्रों ने अपनी पहली काउंसिलिंग के माध्यम से जिन संस्थानों में दाखिला लिया था, उनमें से अधिकांश ने इनके मूल प्रमाणपत्र व फीस वापस नहीं की, जबकि इस संदर्भ में प्राविधिक विवि प्रशासन की ओर से 24 सितंबर, 08 को स्पष्ट तौर पर निर्देश जारी किया गया था कि ऐसे छात्रों के मूल प्रमाणपत्र व शुल्क यथाशीघ्र वापस कर दिया जाएं। इसके बाद भी संबंधित संस्थानों की ओर से छात्रों को फीस और मूल प्रमाणपत्र वापस नहीं किए गए। बीच-बीच में कई रिमाइंडर भी जारी किए गए। यह मामला संज्ञान में आने पर उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य डॉ.यज्ञदत्त शर्मा ने वर्ष 2010 में सदन में यह मामला उठाया। विधान परिषद में मामला उठने पर प्राविधिक विवि प्रशासन एक बार फिर हरकत में आया और उसने सभी 431 संस्थानों को पुन: पत्र लिखा। इसके जवाब में 158 संस्थानों ने आवश्यक जानकारी उपलब्ध करा दी, लेकिन 273 संस्थानों ने यह नहीं बताया कि ऐसे छात्रों के मूल प्रमाणपत्र व शुल्क वापस किए गए या नहीं। प्राविवि ने हाल ही में 30 जून को ऐसे 273 संस्थानों को पत्र लिखा, जिनमें 70 संस्थानों ने जानकारी मुहैया कराई, अभी भी 203 संस्थान ऐसे हैं, जो सूचना देने में आनाकानी कर रहे हैं। इनमें इलाहाबाद के पांच, गोरखपुर का एक, झांसी के दो, कानपुर के 12, लखनऊ के 14, आगरा के 11 संस्थान शामिल हैं। इसे गंभीरता से लेते हुए प्राविवि के कुलसचिव यूएस तोमर ने तय किया है कि जो संस्थान 25 जुलाई तक सूचनाएं नहीं देंगे, उनकी सम्बद्धता समाप्त करने के लिए शासन स्तर पर कार्रवाई की जाएगी(विजय यादव,दैनिक जागरण,इलाहाबाद,23.7.11)।

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