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21 जुलाई 2011

मेडिकल की एकल परीक्षा से होगा फायदा

अब तक मेडिकल में जाने के लिए विभिन्न बोर्ड द्वारा लगभग 20 परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं लेकिन अगले वर्ष से सीबीएसई द्वारा देशभर में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) आयोजित की जाएगी। इससे देशभर के स्टूडेंट्स एक ही मापदंड पर परखे जाएंगे। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डीन डॉ. पुष्पा वर्मा कहती हैं चूंकि एक ही बोर्ड परीक्षा कंडक्ट करेगा इसलिए धांधलियां खत्म हो जाएंगी। अभी तक देश में अलग-अलग मापदंड होने के कारण कमजोर स्टूडेंट्स भी डॉक्टर बन जाते हैं। अब मेहनत करने वाला ही डॉक्टर बन पाएगा।

डॉ. अपूर्व पुराणिक कहते हैं निर्णय स्टूडेंट्स के लिए अच्छा है। इससे विभिन्न राज्यों के सिलेबस में अंतर खत्म किया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर एमपीपीएमटी और ऑल इंडिया पीएमटी दोनों के सिलेबस में अंतर है। जो छात्र दोनों परीक्षाएं देना चाहता है उसे अलग-अलग सिलेबस पढ़ना पड़ता है।

समय और पैसे दोनों की बचत

कोचिंग संचालक पुनीत गुप्ता कहते हैं मेडिकल के लिए होने वाली 20 परीक्षाओं में स्टूडेंट्स का समय और पैसा दोनों बर्बाद होता है। अब दोनों की बचत होगी। संदीप गुप्ता कहते हैं इसका नेगेटिव प्वाइंट यह है कि केवल एक परीक्षा होने से यदि कोई स्टूडेंट किसी कारणवश परीक्षा देने से चूक गया तो फिर उसे अगले साल का इंतजार करना पड़ेगा।

प्लस प्वाइंट
- पारदर्शिता बढ़ेगी।
- परीक्षाओं के लिए विभिन्न शहरों में आने-जाने में समय बचेगा।
- एक फॉर्म भरने से देशभर के मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के रास्ते खुल जाएंगे। 
- अभी परीक्षाओं के लिए कोई शेड्यूल तय नहीं होता। फॉर्म मिलने से लेकर परीक्षा होने तक की तारीखें तय नहीं होती। सीबीएसई परीक्षा लेगा तो सारी चीजें तय समय पर होने की उम्मीद है।
- कॉमन प्लेटफॉर्म होने से पूरे देश के टैलेंट का एक ही बेस पर एनालिसिस होगा और क्राइटेरिया भी एक ही होगा। 

मायनस प्वाइंट
- अलग-अलग स्टेट में सिलेबस और सीटों की संख्या में अंतर है। एमपी और महाराष्ट्र की तुलना में महाराष्ट्र बोर्ड का सिलेबस मप्र से आसान है और सीटें भी अधिक हैं। ऐसे में स्टेट के स्टूडेंट्स के लिए कोटा फिक्स किया जाएगा या किस तरह एडमिशन होंगे, स्पष्ट नहीं है। 
- मप्र में ग्रामीण स्टूडेंट्स की संख्या अधिक है। शहर में स्टूडेंट्स को अच्छी एजुकेशन मिलती है जिससे वे तो एक्जाम क्लीयर कर लेंगे लेकिन हिंदी मीडियम के ग्रामीण स्टूडेंट्स की राह आसान नहीं होगी। साउथ और केरल में एजुकेशन लेवल बहुत अच्छा है(दैनिक भास्कर,इन्दौर,21.7.11)।

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