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07 जुलाई 2011

यूपीःपीएचडी के लिए दो परीक्षाएं पास करनी होंगी

पीएचडी की राह कठिन हो गई। शोध करने से पहले एक नहीं बल्कि दो परीक्षाओं को पास करना होगा। प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के छह महीने के अंदर दोनों परीक्षाएं होंगी, इसके बाद ही शोध कार्य शुरू हो सकेगा। हालांकि प्रवेश प्रक्रिया की स्थिति स्पष्ट न होने से छात्रों में असमंजस की स्थिति है। सहगल समिति की सिफारिश पर पूरे प्रदेश में पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराए जाने पर आमराय बन चुकी है। फैजाबाद यूनिवर्सिटी को इसकी जिम्मेदारी मिलने के बाद माना जा रहा है कि सितंबर में इंट्रेंस कराया जा सकता है। राज्य स्तर पर होगा इंट्रेंस प्रवेश परीक्षा को राज्य स्तर पर कराए जाने को लेकर शासन भी तैयार हो चुका है। इसके लिए सभी यूनिवर्सिटी के कुलपतियों ने पेपर बनाने कहा गया है। इनके आधार पर ही प्रवेश परीक्षा का प्रश्नपत्र तैयार होगा। क्रैश कोर्स पर असमंजस इंट्रेंस उत्तीर्ण करने के बाद चयनितों को छह माह का क्रैश कोर्स कराया जाएगा। इसको लेकर शिक्षकों में असमंजस की स्थिति है। अभी तक की तैयारियों में यूनिवर्सिटी के विभागों में इस कोर्स को चलाने की बात हो रही है। इस पर शिक्षकों की सहमति नहीं बन रही। उनका कहना है कि कैंपस में अन्य कालेज के छात्रों को कोर्स पढ़ाना कठिन होगा। क्योंकि कुछ विषयों में चयनितों की संख्या बंपर होगी जबकि विभागों में अतिरिक्त शिक्षक या सुविधाएं नहीं होंगी। ऐसी स्थिति में पूरे परिक्षेत्र के छात्रों को कोर्स कराना संभव नहीं होगा। कोर्स के बाद फिर परीक्षा क्रैश कोर्स के बाद छात्रों को एक और परीक्षा देनी होगी। इसे उत्तीर्ण करने के बाद ही पीएचडी में नामांकन कराए जा सकेंगे। शैक्षिक अर्हता प्राप्त करने के बाद चयनित छात्र किसी भी यूनिवर्सिटी में पीएचडी कर सकेंगे। हालांकि उनके गाइड निर्धारित करने का काम व्यक्तिगत स्तर से होगा या आयोजन कराने वाली यूनिवर्सिटी करेगी, इस बाबत अभी तक स्थिति साफ नहीं हो सकी है। छह महीने का अतिरिक्त समय चयन होने के बाद कम से कम 18 महीने तक शोध कार्य करना जरूरी होगा। मगर इससे पहले छह महीने के क्रेस कोर्स का अतिरिक्त समय भी छात्रों को देना होगा। इसे शोध अवधि में शामिल नहीं किया जाएगा(दैनिक जागरण,बरेली,7.7.11)।

राष्ट्रीय सहारा की रिपोर्टः
राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश में पीएचडी के लिए कामन एन्ट्रेन्स टेस्ट कराने एवं मिनिमम कामन सिलेबस को लागू करने को प्रोफेसर सहगल समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए शासनादेश जारी कर दिया है। राज्य के दस विविद्यालयों में पीएचडी के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा होगी जबकि लविवि, मेरठ विवि व गोरखपुर विवि को इससे अलग रखा गया है। इन तीनों विवि में यूजीसी के नये निर्देश लागू होने के बाद पीएचडी की प्रवेश प्रक्रिया शुरू करा दी गयी है। विविद्यालयों को शिक्षकों व छात्रों का डाटा बेस तैयार करने की कार्रवाई जल्द पूरी करने के निर्देश उच्च शिक्षा मंत्री डा. राकेशधर त्रिपाठी ने विभागीय समीक्षा में दिये। उन्होंने कहा कि विविद्यालय मैनेजमेंट सिस्टम को लागू करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गयी है और जल्द ही इसे अमल में लाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि विविद्यालय अनुदान आयोग ने शोध की गुणवत्ता में गिरावट रोकने व गुणवत्ता बढ़ाने के लिए पीएचडी न्यूनतम मानक एवं विधि विनियमन 2009 जारी कर चुका है। इसको आगे बढ़ाते हुए पूरे प्रदेश में शोध में सत्र 2011-12 से प्रवेश एक साथ कराने का जीओ जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि यूजीसी के नये विनियमन को लागू करके लविवि, चौधरी चरण विवि मेरठ, दीनदयाल उपाध्याय विवि गोरखपुर में लागू कर दिया और अन्य सभी विविद्यालयों को एक साथ पीएचडी प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के निर्देश दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि 10 राज्य विविद्यालयों में पीएचडी की प्रवेश परीक्षा कराने के लिए डा. राम मनोहर लोहिया अवध विविद्यालय फैजाबाद के कुलपति प्रो. आरसी सारस्वत की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी गयी है। इसे सभी अन्य विविद्यालयों के बीच समन्वयक की जिम्मेदारी दी गयी है। उन्होंने समीक्षा बैठकों से लगातार दूर रहने वाले गोरखपुर विवि व सम्पूर्णानंद संस्कृत विवि के कुलसचिवों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश भी दिये।

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