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23 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ःइतिहास-समाजशास्त्र की डिग्री से बन गए 'डॉक्टर'

करोड़ों की मशीन और दवा खरीदी में गोलमाल करने के लिए चर्चित स्वास्थ्य विभाग में इस बार भर्ती घोटाला फूटा है। विभाग के अधिकारियों ने एपिडेमोलिस्ट (महामारी विशेषज्ञ) की पोस्ट पर इतिहास और समाजशास्त्र की डिग्रीधारी की भर्ती कर दी, जबकि भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस पद के लिए न्यूनतम योग्यता एमबीबीएस और एमडी तय की है।
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के माध्यम 2009 में राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में की गई भर्ती हुए इस गोलमाल का भांडा अब जाकर फूटा है। वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र पांडे ने सूचना के अधिकार कानून के तहत इस बारे में जानकारी निकाली।उसके बाद ही यह हकीकत सामने आई।

हैरानी वाली बात यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की स्पष्ट गाइड लाइन के बावजूद न सिर्फ इतिहास और समाज शास्त्र विषय पढ़ने वालों को पोस्ट दी गई है, बल्कि इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विभाग वालों को भी डॉक्टरों वाला पद सौंप दिया गया है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने केवल एक साल के लिए पोस्टिंग दी थी। छत्तीसगढ में 2009 के बाद इस पद के लिए विज्ञापन नहीं निकाला गया।यानी एक बार भर्ती होने वालों का कार्यकाल बगैर विज्ञापन निकाले ही बढ़ाया जा रहा है। 
25 हजार से 45 हजार पगार : 
आंबेडकर अस्पताल में जहां एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त डॉक्टर जूनियर रेसिडेंट के रूप में 15-15 हजार वेतन प्राप्त कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से भर्ती पाने वाले इतिहास और समाजशास्त्र के डिग्रीधारियों को 25 से 45 हजार तक वेतन मिल रहा है। 
सच्चाई सामने आ गई-पांडे : 
वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष श्री पांडे ने कहा कि सब कुछ स्पष्ट हो गया है कि किस तरह से नियुक्ति दी गई। इस बारे में अगला कदम उठाया जाएगा। 
ऐसे हुई भर्ती
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संक्रामक रोगों के नियंत्रण और उनकी नियमित मॉनीटरिंग के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की थी।राज्य के सभी जिलों में एक-एक पद पर भर्ती की गई थी। पोस्ट भरने का जिम्मा एक निजी एजेंसी को सौंपा गया था। चयन करने के बाद उन्होंने उम्मीदवारों की सूची यहां भेज दी। दूसरी मर्तबा भी नियुक्ति देते समय अफसरों ने निर्धारित योग्यता की ओर ध्यान नहीं दिया(दैनिक भास्कर,रायपुर,23.7.11)।

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