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16 जुलाई 2011

सीटीसी नहीं है कर्मचारी के मूल्यांकन का सही तरीका

आजकल कंपनियों द्वारा कर्मचारियों की भर्ती सीटीसी (कंपनी के लिए लागत) के आधार पर करने का चलन बढ़ रहा है। भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद के सहायक प्रोफेसर टीवी राव का मानना है कि सीटीसी किसी भी कर्मचारी के मूल्यांकन का सही तरीका नहीं है। एक तरह से यह प्रतिभा के प्रति अन्याय है। अपनी नई पुस्तक ‘हरकोनोमिक्स फॉर टैलंट मैनेजमेंट’ में राव ने लिखा है, ‘सीटीसी एक व्यक्ति का मूल्य बताता है। एक तरह से यह किसी प्रतिभा के मूल्यांकन का उचित तरीका नहीं है। हम किसी संगठन में जितने ऊंचे पद पर होंगे, हमारे समय का मूल्य उतना ही अधिक होगा।’

राव ने लिखा है कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सेवा संगठनों में किसी की प्रतिभा का आकलन सीटीसी से करना उसके प्रति घोर अन्याय है। ‘चिकित्सकों, नसरें, शिक्षकों, कृषि और पर्यावरण क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों का मूल्यांकन वित्तीय तरीके से नहीं किया जा सकता। उनका मूल्यांकन बौद्धिक पूंजी योगदान के आधार पर किया जाना चाहिए।’ इस किताब को पियरसन ने प्रकाशित किया है। लेखक का कहना है कि मानव संसाधन को किसी भी दर मापा नहीं जा सकता। राव ने कहा कि मेरा मानना है कि लोगों का मूल्यांकन वित्तीय आधार पर नहीं होना चाहिए। राव ने लिखा है, ‘कुछ साल पहले मैंने ‘ह्यूनिट’ की अवधारणा का विकास किया था। यह किसी व्यक्ति के मानव संसाधन को मापने का तरीका है। ह्यूनिट की गणना एक घंटे के आधार पर की जाती है। इसमें यह देखा जाता है कि वह व्यक्ति एक घंटे में संगठन, परिवार या समाज को क्या दे रहा है। इसकी इकाई व्यक्ति दर व्यक्ति अलग-अलग होती है। ‘हरकोनोमिक’ एक तरह से आर्थिक और वित्तीय आधार पर किसी व्यक्ति, प्रक्रि या या कार्यक्र म की गणना का तरीका है। इस पुस्तक में एचआर के अर्थशास्त्र के बारे में बताया गया है और साथ ही इसमें मानव संसाधन गतिविधियों का विश्लेषण करने का भी प्रयास किया गया है। पुस्तक में बताया गया है कि किसी व्यक्ति के मूल्यांकन के लिए समय की लागत (सीओटी) को आधार बनाया जाना चाहिए। ऐसे समय जब रिश्ते, भरोसा और प्रतिबद्धता को मुनाफे, पेशेवराना अंदाज, लचीलापन, रणनीति और तेजी के आगे भुलाया जा रहा है, हरकोनोक्सि इस नए रुख में कुछ सकारात्मक ढूंढ़ने का प्रयास है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,16.7.11)।

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