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17 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ःडॉक्टरों का वेतन नर्सों से कम!

मेडिकल और डेंटल कालेजों में जहां डाक्टरों को डेढ़ लाख तक वेतन मिल रहा है, वहीं आंबेडकर अस्पताल में संविदा में सेवाएं दे रहे जूनियर रेसीडेंस (जेआर) का वेतन नर्सो से भी कम है। रेसीडेंट डाक्टरों को 15287 रुपए पगार मिल रही है। यह वेतन नर्सो से कम और चपरासियों व वार्ड ब्वाय से थोड़ा अधिक है।
और यह तब है जब आंबेडकर अस्पताल के कुछ महत्वपूर्ण विभाग पूरी तरह से रेसीडेंट डाक्टरों के भरोसे चल रहे हैं। मनोरोग विभाग में केवल एचओडी डा. एमके साहू नियमित चिकित्सक हैं। पूरा विभाग रेसीडेंट डाक्टर चला रहे हैं। इसी तरह चर्म और दंत रोग विभाग में जूनियर रेसीडेंट के आने के बाद ही मरीजों की दिक्कतें दूर हुई हैं। ऑथरे व न्यूरो सर्जरी विभाग में भी जेआर अहम भूमिका निभा रहे हैं।

जानकारों के मुताबिक सीनियर नर्सो को 25 हजार तक वेतन प्राप्त होता है। इसी तरह सीनियर चपरासियों व वार्ड ब्वाय को 12-14 हजार तक हर महीना वेतन मिलता है। जूनियर रेसीडेंट एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही नियुक्ति पाते हैं। फिर भी केवल 15 हजार पगार पा रहे हैं। 

क्या है नियम : जेआर के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी किए हैं। उसी के मुताबिक उनका वेतन तय किया गया है। यहां बताना लाजमी है कि शासन ने संविदा डाक्टरों के लिए न्यूनतम वेतन 15 हजार तय किया है। अधिकतम सीमा 35 हजार तक है। परंतु यहां न्यूनतम वेतन ही दिया जा रहा है। जेआर का मानना है कि साल दर साल वेतन बढ़ना चाहिए। आंबेडकर अस्पताल के जेआर और सीनियर रेसीडेंट को यह सुविधा नहीं दी जा रही है। 
कोई नहीं सुन रहा : रेसिडेंट डाक्टरों के प्रतिनिधि मंडल ने कई बार स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की। डाक्टरों का कहना है कि सचिव से मुलाकात के लिए वे तीन चार बार गए लेकिन चार-चार घंटे इंतजार के बाद उन्हें बगैर मिले लौटा दिया गया(दैनिक भास्कर,रायपुर,17.7.11)।

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