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13 जुलाई 2011

डीयूःबेहतर नतीजों के कारण भरीं ओबीसी सीटें

दिल्ली विश्वविद्यालय में हर साल ओबीसी की कुछ सीटों खाली रह जाती हैं, नतीजतन सामान्य वर्ग के छात्रों को उन सीटों पर प्रवेश मिल जाता है। लेकिन, इस बार ओबीसी की बची सीटों के जरिए डीयू में एडमिशन की आस लगाए छात्रों को थोड़ी मायूसी हो सकती है।

डीयू के तमाम कॉलेजों की मानें, तो इस साल ओबीसी कोटे की सीटों पर दाखिले काफी ज्यादा हुए हैं। हालांकि कॉलेज प्रशासन का यह भी मानना है कि हमेशा की तरह इस बार भी ओबीसी की सीटें पूरी नहीं भरेंगी। इसलिए सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए दाखिला लेने का आखिरी मौका बना हुआ है। वहीं ओबीसी की अधिकतर सीटों पर दाखिले की खबर ने ऐसे छात्रों को निराश कर दिया है, जो कोटे की सीटों पर एडमिशन की आस लगाए हुए थे।

डीयू के तमाम कॉलेजों का मानना है कि इस बार ओबीसी कोटे में अच्छे दाखिले का कारण बेहतरीन परिणाम और डीयू का सेमेस्टर सिस्टम है। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों की ओबीसी सीटों पर अच्छा प्रवेश हुआ है। वेंकटेश्वर कॉलेज के अधिकतर कोर्सो में ओबीसी की सीटें नहीं भर पाई हैं। सीटों को भरने के लिए कॉलेज ने पांचवीं कटऑफ निकाली है। बावजूद इसके, हमेशा की तरह इस बार भी कोटे की सीटें खाली रह जाएंगी। कॉलेज की प्राचार्या हेमलता रेड्डी कहती हैं कि पिछले साल के मुकाबले इस साल ओबीसी कोटे की अधिक सीटों पर दाखिला हुआ है, लेकिन अभी भी काफी सीटें खाली हैं। कॉलेज के विज्ञान संकाय में ओबीसी कोटे में सबसे कम प्रवेश हुए हैं। वेंकटेश्वर के अलावा, रामलाल आनंद कॉलेज में भी दाखिले कम हुए हैं। कॉलेज में कॉमर्स संकाय की सबसे ज्यादा सीटें खाली हैं। हालांकि, कॉलेज प्रशासन का यह भी कहना है कि प्रोफेशनल कोर्स में दाखिलों की संख्या अधिक है, जबकि सामान्य कोर्सो में सीटें नहीं भर पाईं हैं। कुछ कोर्स ऐसे भी हैं, जिनमें ओबीसी की सीटें फुल हो गईं हैं।
गौरतलब है कि डीयू में हर कॉलेज में सभी कोर्स में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत सीटें आरक्षित हैं। साथ ही ओबीसी के छात्रों को सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए घोषित कट ऑफ में से दस प्रतिशत तक की छूट भी मिलती है। बावजूद इसके, हर साल ओबीसी की सीटें खाली रह जाती हैं(हिंदुस्तान,दिल्ली,12.7.11)।

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