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08 जुलाई 2011

आईआईएम लखनऊ के नए बैच में भी इंजीनियर भारी

भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) लखनऊ में प्रवेश प्रक्रिया में हुए बदलाव का थोड़ा सा असर नए बैच के संयोजन में देखने को मिल रहा है। पिछले वर्ष की अपेक्षा आईआईएम के प्रमुख शैक्षणिक प्रोग्राम पीजीपी में इंजीनियर्स की भागीदारी थोड़ी कम जरूर हुई है लेकिन अभी दबदबा कायम है। कॉमर्स के अभ्यर्थियों की भागीदारी अपेक्षाकृत इस बार बेहतर रही।
आईआईएम में पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम (2011-2013) बैच की प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और कक्षाएं भी प्रारंभ हो गई हैं। कोर्स की 419 सीटों में इस बार भी 82.10 फीसदी सीटों पर इंजीनियर्स को ही एडमिशन मिला है। हालांकि कैट के नतीजे में भी 99 पर्सेंटाइल से ऊपर पाने वाले भी 90 फीसदी इंजीनियर्स ही थे। आईआईएम लखनऊ ने इस बार कॉमर्स, ह्ययूमिनिटीज एवं अन्य गैर-इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के पाठ्यक्रमों से आने वाले अभ्यर्थियों को 2.5 फीसदी का अलग से वेटेज दिया था, जिससे इनकी भागीदारी भी आईआईएम में बढ़ सके। इसका थोड़ा प्रभाव अवश्य हुआ है। आईआईएम के प्रो. ए. उपाध्याय के अनुसार 419 सीटों में 353 सीटों पर दाखिला लेने वाले छात्र इंजीनियरिंग बैक ग्राउंड से है। पिछले वर्ष की अपेक्षा पीजीपी में इनकी भागीदारी 2.5 फीसदी कम हुई है। कॉमर्स के 36 अभ्यर्थी इस बार आईआईएम-एल के हिस्सा बने हैं। साइंस से 8, आर्किटेक्चर से 4 तथा ह्यूमिनिटीज के 7 विद्यार्थियों को दाखिला मिला है। मेडिकल के भी 11 छात्र इस बार प्रबंधन में अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए आईआईएम की प्रवेश प्रक्रिया पार कर अपनी जगह बनाने में सफल रहे हैं। हालांकि जेंडरवाइज आंकड़े में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। नए बैच में 86 फीसदी छात्र तथा 14 फीसदी छात्राएं हैं(अमर उजाला,लखनऊ,7.7.11)।

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