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15 जुलाई 2011

राजस्थान की मातृभाषा जानने आएगा भाषा विभाग का दल

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना (2007-2012) के तहत राज्य के आधा दर्जन से अधिक जिलों में बोली जाने वाली मातृभाषाओं का अध्ययन करने कोलकाता के भाषा विभाग (भारत के महारजिस्ट्रार का कार्यालय) का दल आ रहा है। गृह मंत्रालय के अधीनस्थ जनगणना कार्य निदेशालय दल की मॉनिटरिंग कर रहा है। दल में शामिल पांच सदस्य चुनिन्दा जिलों में घूमकर वहां चिह्नित किसी एक इलाके में बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषा का अध्ययन करेंगे। इस दौरान दल के सदस्य भाषा सम्बंधी आंकड़े और अन्य जरूरी दस्तावेज एकत्र करेंगे।
ऎसे होगा अध्ययन
दल की सदस्य श्रीमती तुलतुल तालुकदार को श्रीगंगानगर, चित्तौड़गढ़ व अलवर जिले का जिम्मा मिला है। वे श्रीगंगानगर के 17 केएसडी में अरहोड़ी, चित्तौड़गढ़ के झारझूनी, दीपपुरा व जालमपुरा में कुण्डल तथा अलवर जिले के तिलवाड़ में बोली जाने वाली उडई भाषा का अध्ययन करेंगी। दूसरे दल की सदस्य श्रीमती अर्पिता रे जयपुर म्युनिसिपन कॉरपोरेशन क्षेत्र में बेंधारी व मलयामी, टौंक के लाम्बा व शंकरवाड़ा में डेगल, बून्दी के फतहपुरा व देवगढ़ में उपरमाल, भगवानपुरा व चैनपुरिया में जूबॉय व झाबुई भाषा के हाल जानेंगी।

तीसरी सदस्य श्रीमती अमृता विश्वास भरतपुर में गुरूशारी, उदयपुर के साराड़ी, खारका, उथरड़ा व जेतपुरा में मावली, बीकानेर के 1 एएलएम (एल्डिन) में सेतरा, झालावाड़ के रामपुरा में सोदारी तथा सीकर के रींगस में तिरूलिया भाषा का अध्ययन करेंगी। चौथी सदस्य बसुधा दास चित्तौड़गढ़ के रावतभाटा में मालूडी, अलवर के खैरथल में प्यापीमेनार्यु, श्रीगंगानगर के 1 एमएलके-सी में सराधिया भाषा के हाल जानेंगी। पांचवीं सदस्य झूमा घोष अलवर के मूसा खेड़ा में ग्वारकी तथा श्रीगंगानगर के 6 ईईए में ओल भाषा का अध्ययन करेंगी।
प्रशासन संभालेगा जिम्मा
दलों के सम्बन्धित जिलों में पहुंचने के बाद वहां का स्थानीय प्रशासन दल के सदस्यों को पूरी मदद करेगा। जनगणना कार्य निदेशालय ने सम्बन्धित जिलों के प्रशासन को इसकी ताकीद की है। दल के सदस्यों को चिह्नित क्षेत्रों की पहचान करवाने के अलावा जरूरी आंकड़े संग्रहित करने में भी प्रशासन को मदद करने के निर्देश दिए गए हैं(राजस्थान पत्रिका,बीकानेर,15.7.11)।

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