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05 जुलाई 2011

बिहारःबीएड कॉलेजों की मान्यता पर लटकी तलवार

राज्य में टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज की भारी कमी है। पूरे राज्य भर में मात्र 59 बीएड कॉलेज हैं, जिनमें से ज्यादातर कॉलेज ‘नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन’ के मानक पर खरे नहीं उतरते। वर्ष 2010 में हाईकोर्ट के निर्देश पर एनसीटीई ने यहां के लगभग तीन दर्जन संस्थानों को एक साल के अंदर मानक पूरा करने का निर्देश दिया था लेकिन इनमें से ज्यादातर संस्थान अभी तक मानक पूरा नहीं कर सके। अब एनसीटीई की पूर्वी क्षेत्रीय कमिटी, भुवनेर ने 117वीं बैठक में लगभग तीन दर्जन कॉलेजों को त्रुटियों को दूर करने के लिए 21 दिन का समय दिया है। निर्धारित समय पर पूरा यह त्रुटि पूरा नहीं करने पर लगभग तीन दर्जन बीएड कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ सकती है। दरअसल, मान्यता प्राप्त करते समय कॉलेज के संचालकों ने गलत सूचना देकर जैसे-तैसे मान्यता हासिल कर लिया। इसके बाद नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए ये संस्थान खुलेआम सर्टिफि के ट बांटने लगे। स्थिति यह है कि इन कॉलेजों में नामांकन के नाम पर बड़े पैमाने पर पैसे का खेल जारी है। उधर, पिछले वर्ष एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सभी कॉलेजों की मान्यता को लेकर एनसीटीई को जांच के आदेश दिये। इस संबंध में जब एनसीटीई की टीम यहां के कॉलेजों की वस्तुस्थिति की जांच करने पहुंची तो चकित रह गयी। ज्यादातर कॉलेजों के पास न तो अपना भवन तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर है और न ही उचित संख्या में शिक्षक। जो शिक्षक हैं भी तो उन्हें नियमित भुगतान नहीं किया जाता। जांच के बाद वर्ष 2010 में एनसीटीई ने छह माह के अंदर सभी संबंधित कॉलेजों को निर्धारित मानक को पूरा करने का निर्देश दिया था लेकिन यहां के ज्यादातर कॉलेज विशेषकर निजी एव सरकारी कॉलेज इस मानक को पूरा करने में असफल रहे। एनसीटीई ने पुन: छह माह का समय और दिया। बावजूद ये संस्थान एनसीटीई के मानक पूरा नहीं कर सके। अब एनसीटीई ने 117वीं बैठक में राज्य के बारह बीएड कॉलेजों को छोड़कर सभी संस्थानों को निर्धारित मानक पूरा करने के लिए 21 दिन का समय दिया है। हालत यह है कि एक तरफ इन कॉलेजों में नामांकन के नाम पर विद्यार्थियों से मोटी रकम वसूली जा रही है, वहीं कई निजी कॉलेजों की मान्यता खतरे में है। कई कॉलेज तो ऐसे हैं जिनके पास अपना भवन तक नहीं है, जबकि कई कॉलेजों में न तो प्राचार्य हैं और न ही शिक्षक। इसे इतने कम समय में पूरा करना संस्थान के लिए असंभव है। प्राप्त जानकारी के अनुसार निजामिया कॉलेज ऑफ एजुकेशन, पटना, नेशनल टीचर्स कॉलेज, बीएम दास रोड, पटना, अलमोमिन कॉलेज ऑफ एजुकेशन, गया, मिथिला टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, मधुबनी, बीबी फातिमा टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बिक्रमपुर, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा महाविद्यालय, मुजफ्फरपुर, लिच्छवी कॉलेज ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग, हाजीपुर, एलएन मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट, मुजफ्फरपुर, डॉ. एसपी सिंह कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन, सोलंकी बीएड टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, छपरा, गोरख सिंह कॉलेज महाराजगंज, सिवान, आरपीएस टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, बेली रोड, पटना, शिवम टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, पटना, सिद्धार्थ टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, जहानाबाद, मिर्जा गालिब टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, आशियाना, पटना, मगध टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, औरंगाबाद, महिला महाविद्यालय बीएड कॉलेज, औरंगाबाद, महाराणा प्रताप कॉलेज, कैमूर, ओरियंटल कॉलेज ऑफ एजुकेशन, दरभंगा समेत कई अन्य कॉलेजों को एनसीटीई ने 21 दिनों के अंदर जमीन तथा भवन के कागजात उपलब्ध कराने का समय दिया है। इसके अलावा बैठक में शिक्षक की कमी तथा अन्य मानकों को भी पूरा करने के लिए विभिन्न निजी कॉलेजों को नोटिस भेजा गया है। एनसीटीई की वेबसाइट पर ऐसे संस्थानों की पूरी सूची उपलब्ध करवा दी गयी है ताकि नामांकन कराते समय विद्यार्थी भ्रम में नहीं रहें(राष्ट्रीय सहारा,पटना,5.7.11)।

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