मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

04 जुलाई 2011

अंतरिक्ष विज्ञान में संभावनाएं

सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला, इन्हें आज भला कौन नहीं जानता, लेकिन इस नाम और शोहरत के पीछे है स्पेस के प्रति इनका लगाव और स्पेस साइंस का अनलिमिटेड स्कोप। अगर आप साइंस स्टूडेंट हैं और 12वीं के बाद इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जाना चाहते हैं तो स्पेस साइंस के क्षेत्र में उम्दा करियर का आगाज कर सकते हैं। आज भारत खुद इस फील्ड में जानामाना नाम है।

स्कोप
विभिन्न विषयों के जानकार स्पेस साइंस के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर सकते हैं, जैसे- एस्ट्रोफिजिक्स, गैलैक्टिक साइंस, स्टेलर साइंस, रिमोट सेंसिंग, हाइड्रोलॉजी, कार्टोग्राफी, नॉन अर्थ प्लैनेट्री साइंस, बायॉलॉजी ऑफ अदर प्लेनैट्स, एस्ट्रोनॉटिक्स, स्पेस कोलोनाइजेशन, क्लाइमेटोलॉजी आदि। आगे चलकर स्पेस साइंस में स्कोप का बढ़ना तय है, देखा जाए तो इस फील्ड में डिमांड सप्लाई के बीच गैप है। इस फील्ड में स्पेस साइंटिस्ट के अलावा मेट्रोलॉजिकल सर्विस, एनवायरनमेंटल मॉनिटरिंग, एस्ट्रोनॉमिकल डाटा स्टडी आदि के साथ भी जुड़ा जा सकता है।

योग्यता
अब तो आप 12वीं के बाद इसरो द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग एग्जाम पास कर सीधे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की सोच सकते हैं। इस फील्ड में काम करने के लिए विभिन्न विषयों के जानकारों की जरूरत होती है, जैसे- मैकेनिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्यूनिकेशन और कंप्यूटर इंजीनियरिंग। अगर आप ऑलरेडी बी. टेक या एमएससी हैं, तब भी आगे स्पेस साइंस से जुड़े सब्जेक्ट्स में स्पेशलाइजेशन कर इस फील्ड में आ सकते हैं। मटीरियल साइंस, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मेडिसिन, साइकोलॉजी आदि के स्टूडेंट्स के लिए भी इस फील्ड में स्कोप है। इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग का अनुभव रखने वालों को भी रोजगार के मौके मिलते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल आदि सब्जेक्ट्स में सटिर्फिकेट कोर्स करने वालों के लिए भी अवसर होते हैं।

सैलरी
नैशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, विक्रम सारा भाई स्पेस सेंटर, सतीश धवन स्पेस सेंटर आदि के अलावा विभिन्न सरकारी संस्थानों में साइंटिस्टों की जरूरत होती है। इन्हें सभी तमाम सुविधाओं के साथ अच्छा-खासा वेतन भी दिया जाता है। किसी खास प्रॉजेक्ट पर काम करने वाली टीम में फ्रेशर को एक रिसर्चर के तौर पर शामिल किया जा सकता है। इसरों द्वारा समय समय पर विभिन्न क्षेत्र के साइंटिस्ट/इंजीनियर के लिए भतीर् चलती रहती है। भारत से बाहर नासा में भी भारतीय काफी संख्या में हैं और अच्छा नाम कर रहे हैं।


इंस्टीट्यूट्स 
भारत में अब कई यूनिवसिर्टियों और इंस्टीट्यूट्स में स्पेस साइंस और इससे जुड़े सब्जेक्ट्स जैसे, रिमोट सेंसिंग, कार्टोग्राफी, हाइड्रोलॉजी, मिनरल एक्सप्लोरेशन एंड प्रोसेसिंग, एटमोसफरिक साइंस, क्लाइमेटोलॉजी वगैरह की पढ़ाई उपलब्ध है। हालांकि इस फील्ड में ग्रैजुएशन, पीजी और रिसर्च प्रोग्राम्स के लिए साल 2007 में 'इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नॉलजी' की स्थापना की गई। इस इंस्टिट्यूट में एवियोनिक्स और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बी.टेक. के अलावा पांच वर्षीय इंटिग्रेटिड मास्टर्स इन एप्लाइड साइंस प्रोग्राम भी चलाया जाता है। इसरो भी स्पेस साइंस से जुड़े कई कोर्स कराता है। इसके अलावा पुणे यूनिवर्सिटी से स्पेस साइंस में एमएससी की डिग्री ली जा सकती है। गुजरात और आंध्र यूनिवर्सिटी में स्पेस साइंस में पीजी डिप्लोमा कोर्स भी है। विदेश में भी ऐडमिशन लिया जा सकता है। 

इंस्टिट्यूट्स 

- इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नॉलजी, तिरुवनंतपुरम। 

- एमएससी स्पेस साइंस - पुणे यूनिवर्सिटी 

- पीजी डिप्लोमा स्पेस साइंस- गुजरात और आंध्र यूनिवर्सिटी 

- एम. टेक रिमोट सेंसिंग - अन्ना यूनिवर्सिटी 

- एम. टेक रिमोट सेंसिंग - आईआईटी मुंबई 

- एम. टेक रिमोट सेंसिंग - रूड़की यूनिवर्सिटी 

- एमएससी कार्टोग्राफी - मद्रास यूनिवर्सिटी 

- एम. एससी एटमोसफेरिक साइंस - कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी 

- एम. एससी क्लाइमेटोलॉजी - पुणे यूनिवर्सिटी 

- एम. टेक हाइड्रोलॉजी - आंध्र यूनिवर्सिटी 

- डिप्लोमा इन हाइड्रोलॉजी - रुड़की यूनिवर्सिटी 

- कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, अमेरिका 

- यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरैडो, अमेरिका 

- अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स, यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना 

- स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी, अमेरिका 
(निर्भय कुमार,नभाटा,29.6.11)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।