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03 जुलाई 2011

पंजाबःघर आकर पूछेंगे मास्टर जी, पढ़ते क्यों नहीं?

राज्य में छह से 14 साल के हर बच्चे को शिक्षा देना राज्य सरकार के लिए चुनौती बन गया है। शिक्षा विभाग जितने आउट ऑफ स्कूल बच्चों को ढूंढ रहा है उसमें से आधे से अधिक बच्चे स्कूल में दाखिल होने को तैयार नहीं हैं। राज्य में अभी हजारों बच्चे ऐसे हैं जो शिक्षा से महरूम हैं। अफसरों की समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार आउट ऑफ स्कूल बच्चों को स्कूल में कैसे दाखिल करवाया जाए। विभाग अब अध्यापकों को शिक्षा से महरूम बच्चों के घर भेजेगा जो कि उन्हें पढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।

लुधियाना जिले में पिछले साल करवाए गए सर्वे में जितने बच्चे आउट ऑफ स्कूल मिले उसमें से सिर्फ 50 फीसदी बच्चे ही स्कूलों में दाखिल हो सके। जबकि विभाग की तरफ से इन बच्चों को दाखिल करने के लिए जिले में 102 स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर और दो रेजिडेंशियल ब्रिज कोर्स सेंटर खोले गए हैं। इन सेंटरों के संचालन को विभाग ने फंड की पहली किस्त 64 लाख जारी कर दी है।

2013 तक हर बच्चा करना है दाखिल


राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून 2013 में पूरी तरह लागू होना है। ऐसे में इस साल सभी आउट ऑफ स्कूल बच्चों को ढूंढ़कर अगले शिक्षा सत्र में स्कूल में दाखिल किया जाना आवश्यक है। 
डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन बी पुरुषार्थ ने सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारियों को पांच जुलाई से आउट ऑफ स्कूल बच्चों को ढूंढ़ने के लिए अध्यापकों की टीमें गठित करने को कहा है। ये टीमें जुलाई माह में घर घर जाकर आउट ऑफ स्कूल बच्चों को ढूंढेंगी। 

इस बार विभाग की टीमें घर घर जाने के साथ रेलवे स्टेशन, झुग्गियों, भिखारियों के अड्डों व स्लम बस्तियों में भी ढूंढेंगे। सर्वे की जिम्मेदारी जिला शिक्षा अधिकारी की तरफ से ब्लॉक प्राइमरी शिक्षा अधिकारियों को सौंपी गई हैं(दैनिक भास्कर,लुधियाना,3.7.11)।

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