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11 जुलाई 2011

उत्तराखंडःनहीं मिल सकतीं लोक सेवा आयोग परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं

राज्य सूचना आयोग ने अपने एक फैसले में कहा है कि सूचना के अधिकार के तहत राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित कराई जाने वाली परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति नहीं उपलब्ध कराई जा सकती। राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल का कहना है कि फोटो प्रति उपलब्ध कराने और उनके निरीक्षण की परंपरा शुरू कर दी गई तो ऐसी स्थिति में लोक सेवा आयोग के लिए परीक्षा संपन्न कराना और नियुक्ति करना असंभव हो जाएगा और लोक सेवा आयोग से उत्तर पुस्तिका की फोटो प्रति व उनके निरीक्षण की होड़ लग जाएगी। राज्य सूचना आयोग ने कहा है कि उत्तर पुस्तिकाओं का निरीक्षण कराना भी लोक हित में ठीक नहीं होगा। दिल्ली निवासी एक महिला अनीता ने उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल जज (जू. डि.) 2009 की मुख्य परीक्षा दी थी। परीक्षा में मिले नंबरों से असंतुष्ट होकर उन्होंने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के लोक सूचनाधिकारी से सूचनाधिकार के तहत अपनी सभी विषयों की उत्तर पुस्तिकाओं की रिचेकिंग की इजाजत तो मांगी। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं और पेपरों की फोटो प्रति की भी मांग की। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या उनके सभी उत्तर पुस्तिकाओं को अंग्रेजी माध्यम के रूप में मूल्यांकन किया गया था। उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं के खुद निरीक्षण की मांग भी की थी। लोक सूचनाधिकारी यानी गोपन अनुभाग के अनुभाग अधिकारी ने जवाब दिया कि क्योंकि उत्तर पुस्तिका की प्रति उपलब्ध कराने से परीक्षकों और मूल्यांकन करने वाले व्यक्तियों की गोपनीयता भंग होती है और इससे पूरी परीक्षा पण्राली ही अव्यवहारिक बन जाएगी इसलिए आवेदक को उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति भी नहीं दी जा सकती और उनका निरीक्षण भी नहीं कराया जा सकता। गोपनीयता भंग होने से तथ्यपरक मूल्यांकन परीक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। उत्तर पुस्तिका का मूल्यांकन करने वालों व परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था के बीच एक प्रकार का अनुबंध है जिसे लोकहित में प्रकट करना उचित नहीं होगा। इस जवाब से असंतुष्ट होकर अनीता ने लोक सेवा आयोग के अनुसचिव से विभागीय अपील की। विभागीय अपील के निस्तारण से असंतुष्ट होकर उन्होंने राज्य सूचना आयोग में अपील कर दी। अपील की सुनवाई में राज्य सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल ने लोक सेवा आयोग का पक्ष लेते हुए कहा कि उत्तर पुस्तिका मुहैया कराने या उसका निरीक्षण किए जाने की छूट देने पर परीक्षक की वैासिक नातेदारी पर बुरा असर पड़ेगा और साथ ही उसके जीवन या शारीरिक सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो सकता है। राज्य सूचना आयुक्त ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के अमर ध्यानी बनाम उत्तराखंड राज्य-2004, योगेश कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य-2004 , सुप्रीम कोर्ट के महाराष्ट्र राज्य माध्यमिक शिक्षा परिषद बनाम पारितोष भूपेश कुमार सेठ आदि फैसलों की मिसाल देते हुए कहा कि अपीलार्थी को उत्तर पुस्तिकाओं की प्रति का निरीक्षण नहीं कराया जा सकता और उनकी प्रतियां भी नहीं दी जा सकती। हालांकि सूचना आयोग ने रिचेकिंग, माध्यम और नंबर से असंतुष्ट रहने के मामले में लोक सूचनाधिकारी को अपीलार्थीअनीता को राज्य लोक सेवा आयोग (उत्तर पुस्तिकाओं की मूल्यांकन प्रक्रिया और सन्निरीक्षा प्रक्रिया विनियमन) नियमावली-2007 के नियम 1 से 14 तक की प्रति पंजीकृत डाक से भेजने के भी आदेश दिए गए हैं(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,11.7.11)।

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