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13 जुलाई 2011

कश्मीर की संस्कृति तबाह कर रहे मदरसे

कश्मीर में तबाह हो रही संस्कृति के लिए नई दिल्ली, इस्लामाबाद की राजनीति के साथ गलत शिक्षा दे रहे मदरसों की तादाद में भारी वृद्धि जिम्मेदार है। यह विचार कश्मीर के बुद्धिजीवियों ने जम्मू के गांधीनगर में मंगलवार को संपन्न हुई दो दिवसीय राउंड टेबल कांफ्रेंस में व्यक्त किए। इसके अलावा समग्र संस्कृति के सरंक्षण के साथ राज्य को स्वायत्तता देने का मुद्दा भी जोर शो से उठाया गया। कांफ्रेंस के दूसरे दिन बहुरंगी संस्कृति के संरक्षण की नीति, तंत्र व राज्य की विविधता के संरक्षण में कला की भूमिका पर वक्ताओं ने अपनी राय में माना कि सांस्कृतिक विरासत का सरंक्षण कर संस्कृति को तबाह होने से बचाया जा सकता है। कश्मीर के बुद्धिजीवी गुलाम नबी ख्याल ने वादी में तबाह हो रही संस्कृति के लिए कुकरमुत्तों की तरह फैले मदरसों की गलत शिक्षा व दिल्ली, इस्लामाबाद की छिछोरी राजनीति को जिम्मेदार ठहराया। पत्रकार व लेखिका सादिया देहलवी ने कहा कि इससे कश्मीर समाज गुस्से व नफरत का शिकार हो जाएगा। देहलवी ने कश्मीर में अहले हदीस यूनिवर्सिटी बनाने के मुद्दे पर पूर्व राज्यपाल जनरल एसके सिंह की निंदा कर बहस को दूसरी और मोड़ दिया। इस पर हस्तक्षेप करते हुए वार्ताकार राधा कुमार ने कहा कि अहले हदीस यूनिवर्सिटी बनाना पीडीपी के एक विधायक की सोच थी। विधानसभा में पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस विधायकों ने मिलकर बिल पास करवा दिया था पर विधान परिषद में यह बिल रुक गया था। नेकां के सांसद रहे मिर्जा रशीद ने भी नई दिल्ली, इस्लामाबाद को राज्य की बिगड़ी संस्कृति के लिए जिम्मेदार ठहराया। कश्मीर मसला राज्य को स्वायत्तता देने से ही हल हो सकता है। कांफ्रेंस में यहां ज्योत्सना सिंह ने समाज की दूरियां कम करने के लिए हेरिटेज के संरक्षण पर बल दिया तो वहीं एमके रैना ने कला व कलाकारों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया। हसरत गड्डा ने कहा कि संस्कृति को प्रोत्साहित करने वाले संस्थानों की कमान मुख्यमंत्री के हाथ नहीं प्रोफेशनल लोगों के हाथ हों। प्रो. गुल वानी ने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने पर जोर दिया वहीं पिंटू नारबू ने कहा कि लेह के तरह अन्य जिलों में हिल कौंसिलें बनने से मसले हल हो सकते हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य की बहुरंगी संस्कृति को बहाल करने के साथ प्रयास किए जाएं कि समाज में विवाद पैदा न हों। उन्होंने पंचायतों को ताकतवर बनाने के लिए संविधान के 73वें, 74वें संशोधन लागू करने पर भी जोर दिया। सांसद मणिशंकर अय्यर ने कहा कि इसे बार-बार मुद्दा बनाने से बेहतर है कि राज्य संविधान में इन धाराओं को शामिल कर हमेशा के लिए मसला हल हो। वहीं राधा कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार भी इस दिशा में काम कर रहा है(दैनिक जागरण,जम्मू,13.7.11)।

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