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01 जुलाई 2011

डीयू में फर्जी दाखिलाःएससी/एसटी सेल के दो कर्मचारी गिरफ्तार

फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर डीयू के नामचीन कालेजों में दाखिला कराने के मामले में क्राइम ब्रांच ने डीयू के एससी/एसटी सेल के दो कर्मचारियों संजीत महाजन (36) तथा नीरज शर्मा (33) को गिरफ्तार किया है। दोनों दाखिला कराने वाले गिरोह के लिए काम करते थे। रुपयों के लिए वह न सिर्फ एक साथ कई फार्म जमा कर लेते थे, बल्कि प्रोवीजनल दाखिले की रसीद भी छात्रों की बजाय गिरोह सरगना को थमा देते थे। एससी/एसटी कोटे में चयनित छात्र-छात्राओं के नाम व कालेज की सूची इंटरनेट पर लोड होने से पहले ही आरोपी गिरोह सरगना हिमांशु को बता देते थे। क्राइम ब्रांच उपायुक्त अशोक चांद के अनुसार फर्जी जाति प्रमाण पत्र की मदद से छात्र-छात्राओं का दाखिला कराने के मामले में हिमांशु गुप्ता (26), विकास (24) और केतन गुप्ता (24) को पकड़ा गया था। गिरोह सरगना हिमांशु इस साल डीयू में बारह दाखिले करवा चुका है। आठ दाखिले उसके और होने थे जिनकी सूचना विश्र्वविद्यालय प्रशासन को दे दी गई थी। जांच में सामने आया कि हिंमाशु संजीत महाजन व नीरज शर्मा के संपर्क में अक्टूबर, 2010 से था। संजीत श्यामलाल कालेज के एससी/एसटी सेल में तैनात था। डीयू में 1997 में लोअर डिवीजन क्लर्क (एलडीसी) के पद पर भर्ती हुआ संजीत वर्तमान में सहायक का काम देख रहा था। नीरज कार्यालय सहायक है। हिमांशु अधिकांश दाखिले फार्म श्यामलाल कालेज में संजीत के पास ही जमा कराता था। वह आधे अधूरे फार्म ले लेता था बाद में दस्तावेज पूरे होने पर फार्म में लगे दस्तावेज बदल भी देता था। जाति प्रमाण पत्र न होने पर हिमांशु किसी अन्य के प्रमाण पत्र की फोटो कॉपी पर नाम बदलकर भी जमा करा देता था। बाद में फर्जी प्रमाण पत्र बनने पर वह संजीत को दे देता था जिसे वह फार्म में लगा देता था। इसके लिए संजीत को 12 हजार रुपये दिए किए गए थे। नीरज को उसने पांच हजार रुपये दिए थे। पूछताछ में खुलासा हुआ कि संजीत व नीरज दोनों हिमांशु की दाखिलों में मदद करते थे। संजीत छात्रों को मिलने वाली प्रोवीजनल दाखिले की रसीद हिमांशु को दे देता था। नरेश के साथ वह चयनित छात्र व उनके कालेज की सूची इंटरनेट पर अपलोड होने से पहले ही हिमांशु को बता देता था। इसके आधार पर हिमांशु छात्र-छात्राओंको फोन कर कालेज का नाम बताकर उनसे और रुपये हड़प लेता था। दोनों कर्मचारियों को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया है। क्राइम ब्रांच सतीश की भी तलाश कर रही है। गाजियाबाद तहसीलदार कार्यालय से सतीश ही हिमांशु को फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाकर देता था। वहां का रिकार्ड भी चेक किया जा रहा है। वहां के किसी कर्मचारी की गिरफ्तारी भी संभव है। पुलिस को प्रदीप का नाम भी पता चला है। भगत सिंह कालेज सांध्य से पढ़ाई कर चुका प्रदीप भी फर्जी तरीके से दाखिले में शामिल है। पहले वह हिमांशु के साथ काम करता था, लेकिन 2010 में रुपयों के बंटवारे पर दोनों अलग-अलग काम करने लगे। पुलिस सूत्रों के अनुसार फर्जी तरीके से दाखिला कराने वाले अभिभावक व छात्रों से पूछताछ चल रही है। उनके खिलाफ भी क्राइम ब्रांच कार्रवाई कर सकती है(दैनिक जागरण,दिल्ली,1.7.11)।

राष्ट्रीय सहारा की रिपोर्टः
राजधानी के प्रतिष्ठित कॉलेजों में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर एडमिशन दिलाने में सहयोग करने वाले डीयू के एससीएसटी सेल के दो कर्मियों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। दबोचे गए आरोपितों की पहचान नीरज शर्मा तथा संजीत महाजन के रूप में हुई। इनमें संजीत महाजन क्लर्क तथा नीरज शर्मा आफिस सहायक है। पुलिस का दावा है कि दोनों डीयू कर्मी फर्जीवाड़े के इस गोरखधंधे के मास्टरमाइंड हिमांशु गुप्ता से पिछले वर्ष के अक्टूबर माह से निरंतर संपर्क में थे और दोनों अब तक करीब एक दर्जन विद्यार्थियों का एडमिशन कराने में हिमांशु गुप्ता का सहयोग कर चुके हैं। क्राइम ब्रांच के पुलिस उपायुक्त अशोक चांद का कहना है कि दोनों डीयू कर्मियों की गिरफ्तारी की सूचना डीयू प्रशासन को दे दी गई है। पुलिस उपायुक्त अशोक चांद ने बताया दरअसल दोनों डीयू कर्मी साउथ तथा नार्थ कैम्पस की बजाय पूर्वी दिल्ली के श्यामलाल कॉलेज में स्थित एससी/एसटी सेल कार्यालय में बैठते थे और इस रैकेट के मास्टरमाइंड हिमांशु गुप्ता से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर एडमिशन कराने वाले बच्चों का आवेदन फार्म जमा कराने से लेकर उनका दाखिला दिलाने में हरसंभव मदद करते थे। दोनों डीयू कर्मियों ने पूछताछ में बताया कि फर्जी कागजात के आधार पर एडमिशन लेने वाले बच्चों के नाम डीयू की बेवसाइट में डाल देते थे ताकि किसी को भी फर्जीवाड़े का शक न हो सके। पुलिस ने बताया कि दोनों कर्मी फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर एडमिशन लेने वाले बच्चों का किस कॉलेज में दाखिला हो रहा है इस बारे में पहले ही हिमांशु को जानकारी दे देते ताकि एडमिशन लेने वाले बच्चों के अभिभावक से मोटी रकम वसूली जा सके। दबोचे गए आरोपितों में संजीत महाजन वर्ष 1997 में डीयू ज्वाइन किया था जबकि 2001 में नीरज शर्मा की नियुक्ति हुई थी। इनमें संजीत दसवीं तथा नीरज शर्मा 12 वीं तक पढ़ा है।

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