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18 जुलाई 2011

डीयूःसीटें बचीं तो आ सकती है आठवीं कट-ऑफ !

अब तक यह साफ नहीं हो पाया है कि सातवीं कटआफ के आधार पर दाखिले के बाद भी अगर कॉलेजों में ओबीसी की सीटें बचती हैं तो आठवीं कटआफ निकाली जाएगी, या फिर बची सीटों को सामान्य सीटों में कन्वर्ट कर दिया जाएगा। हालांकि सबकुछ 19 जुलाई के कोर्ट के फैसले पर टिका हुआ है।उधर, विवि ने सभी कॉलेजों से यह ब्योरा मांगा है कि उन्होंने छठी कटऑफ में ओबीसी कैटिगरी के विद्यार्थियों को कितनी छूट दी है और कितनी सीटें और बची हैं। गौरतलब है कि पहली बार डीयू ने इस वर्ष ओबीसी सीटों को भरने के लिए ओबीसी कैटिगरी के छात्रों के लिए दो अतिरिक्त कट ऑफ सूची जारी की है। 7वीं कटआफ के बेस पर 19 जुलाई तक दाखिले होंगे। 19 जुलाई को ही इस मामले में कोर्ट की तारीख भी है। कुलपति प्रो. दिनेश सिंह ने कहा कि विवि द्वारा अब 19 जुलाई को यह देखा जाएगा कि ओबीसी की कितनी सीटें खाली रह गई हैं। प्रो. सिंह ने कहा कि अगर सीटें नहीं भरीं तो ओबीसी की और कटआफॅ जारी की जा सकती है। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि सभी कॉलेजों ने ओबीसी छात्रों को निर्धारित 10 पर्सेट की छूट दी है या नहीं। उन्होंने कहा कि एक विकल्प यह है कि जिन कॉलेजों ने पूरी छूट नहीं दी उन्हें पूरी छूट देने के लिए कहा जाए और कटआफ जारी की जाए। कटआफ जारी न करने की स्थिति में सीटें सामान्य में कन्वर्ट भी की जा सकती हैं। हालांकि यह फैसला 19 जुलाई को कोर्ट में सुनवाई के बाद लिया जाएगा। डीयू के डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर प्रो. जेएम खुराना ने कहा कि हमने कॉलेजों से आंकड़ा मांगा है कि कितनी सीटें खाली हैं और कितनी छूट दी है। दरअसल, डीयू के पास फिलहाल इसका हिसाब-किताब नहीं है कि कॉलेजों ने इस वर्ग को अब तक कितनी छूट दी है। गौरतलब है कि बीते साल भी करीब 3 हजार से अधिक ओबीसी सीटें को खाली रहने के कारण सामान्य वर्ग में परिवर्तित करना पड़ा था। ओबीसी सीटें सामान्य वर्ग में कन्वर्ट होने के बाद जिन कॉलेजों में सामान्य वर्ग में पहले ही जरुरत से ज्यादा दाखिले हो जाते हैं, वहां तो दोबारा दाखिला प्रक्रिया नहीं चलाई जाती। लेकिन जहां सामान्य वर्ग में कुछ सीटें खाली रह जाती हैं, वहां दाखिला अपने स्तर पर कॉलेज करते हैं(राकेश नाथ,राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,18.7.11)।

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