खेती का मोह छोड़ ऊंची डिग्री लेकर नौकरियों के पीछे भागने वालों के लिए शेखावाटी के युवा मिसाल हैं। यहां के उच्च योग्यताधारी युवा अब परंपरागत खेती को नवाचार और तकनीक से जोड़ कर इसे न केवल बेहतर कॅरियर के रूप में अपना रहे हैं बल्कि अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं।
दो साल में 72 ग्रेजुएट युवाओं ने परंपरागत खेती से हटकर नई फसलों की बुवाई की है, जिसमें औषधीय फसल (कोच), कपास, अनार सहित उद्यानिकी फसलें शामिल हैं। ज्यादा पानी वाली इन फसलों में किसान पानी का भी कम उपयोग कर रहे हैं। यह सब बूंद- बूंद सिंचाई के जरिए हो रहा है। कृषि व उद्यान विशेषज्ञ इसे शेखावाटी में कृषि की बदलती तस्वीर मान रहे हैं।
खेती की तस्वीर को बदलने में सीकर के रसीदपुरा, कूदन, श्रीमाधोपुर व नवलगढ़ तहसील के खिरोड़ गांव के युवा किसान शामिल हैं। ये किसान कीमती फसलों के साथ उसी भूमि में साधारण फसलों का भी उत्पादन ले रहे हैं। जिससे उत्पादन में बिना अंतराल के कीमती फसलें भी पनप रही है।
पहले मंथन, फिर अपनाई जाती हैं तकनीक: उन्नत खेती की शुरुआत रसीदपुरा गांव से की गई। यहां के युवा किसान उद्यान विभाग से अनुदान प्राप्त कर सिंचाई की उन्नत तकनीक ड्रिप के साथ अन्य कई उपकरणों व्यवस्था करते हैं। खेत में फसल बुआई से लेकर उत्पादन तक हर सप्ताह समूह बनाकर सलाह करते हैं। इसके के आधार पर फसलों की परवरिश की जाती है। कृषि की बदलती तस्वीर से रूबरू होने यहां पिछले दिनों उद्यान निदेशक, कृषि निदेशक, कृषि मंत्री व कृषि विपणन मंत्री भी खेतों का दौरा कर चुके हैं।
खेती में शेखावाटी के युवा किसान उभरने लगे हैं। यहां के किसानों ने पानी की समस्या को देखते हुए , ड्रिप सिंचाई पद्धति को अपनाना शुरू कर दिया है। - केसी मीणा, संयुक्त निदेशक कृषि(सुरेंद्र चिराना ,दैनिक भास्कर,सीकर,11.7.11)
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