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03 जुलाई 2011

डीयूःएप्लायड साइंस में छात्रों का रुझान कम

दिल्ली विश्वविद्यालय में बेसिक साइंस के कोर्स में दो लिस्ट में तो ताबड़तोड़ दाखिले हुए पर एप्लायड साइंस के गलियारे अब भी छात्रों की बाट जोह रहे हैं। यहां एप्लायड साइंस के लिए खोले गए दो कॉलेजों के ज्यादातर कोर्स में दाखिले पूरे नहीं हुए हैं। प्राचार्य का कहना है कि राजधानी में इनमें उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं होने के कारण छात्र इधर कम आ रहे हैं।


विश्वविद्यालय में बीस वर्ष पहले एप्लायड साइंस की पढ़ाई को बढ़ावा देने के लिए राजगुरू कॉलेज और भास्कराचार्य कॉलेज जैसे संस्थान को सामने लाया गया। यहां बेसिक साइंस की जगह एप्लायड साइंस के रूप में पोलिमर साइंस, फूड टेक्नोलॉजी, बॉयोमेडिकल साइंस और इंस्टूमेंटेशन जैसे कोर्स शुरू किए गये। शुरू में इन कोर्सों में दाखिले के लिए छात्रों की काफी भीड़ जुटी पर अब इसकी ओर ヒझान कम हो गया है। छात्रों की इस घटती रूचि के कारण अब इनमें तीन चार कट ऑफ लिस्ट के बाद भी दाखिले पूरे नहीं हो पा रहे हैं। दोनों कॉलेजों में फूड टेक्नोलॉजी, बायोमेडिकल साइंस, पोलिमर साइंस और इंस्टूमेंटेशन की सीटें भर नहीं पाई हैं। इसका कट ऑफ भी भौतिकी, रसायन व गणित के मुकाबले काफी नीचे चला गया है।

भास्कराचार्य कॉलेज फोर एप्लायड साइंस के प्राचार्य डा जयप्रकाश ने बताया कि २० साल पहले जब यह कोर्स शुरू किया गया था तब इसकी प्रासंगिकता थी। अब इसके बजाय राजधानी के इर्द गिर्द बीटेक कोर्स में दाखिला लेना छात्र ज्यादा पसंद करते हैं। वे कहते हैं, इस कोर्स में आगे की पढ़ाई यानी एमएससी के लिए छात्रों को दिल्ली से बाहर जाना पड़ता है। इसलिए छात्र इसमें कम आ रहे हैं । पोलिमर साइंस आदि की फीस भी काफी है। इन्हें बढ़ावा देने और आगे लाने के लिए जरूरी है कि राजधानी में इसमें उच्च शिक्षा की पढ़ाई हो या फिर इस कोर्स को ही पांच साल का इंटीग्रेटेड कोर्स बना दे। 

इन दोनों के अलावा श्रद्धानंद और रामजस कॉलेज में भी एप्लायड लाइफ साइंस की सीटें खाली पड़ी हैं। कट ऑफ ६५ से ७५ फीसदी के बीच आ गया है(अनुपम कुमार,नई दुनिया,दिल्ली,3.7.11)।

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