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09 जुलाई 2011

देहरादूनःआरटीई के पालन के लिए निजी स्कूलों को बढ़ानी होंगी सीटें

आरटीई के तहत आरक्षित व कमजोर वर्ग के 25 प्रतिशत बच्चों को प्रवेश देने में निजी स्कूल किसी तरह का बहाना नहीं बना सकते। यहां तक कि जो निजी स्कूल प्रवेश पूरे भी कर चुके हैं, उन्हें आरटीई के पालन के लिए अपने स्कूलों में सीटें बढ़ानी होंगी। नगर शिक्षाधिकारी इंद्रमणि बलोदी ने निजी स्कूलों को प्रवेश के लिए यही निर्देश दिए हैं। आरटीई का पालन न करने पर मान्यता रद करने की चेतावनी इन स्कूलों को पहले ही दी जा चुकी है। गरीब व पिछड़े वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए विभाग गंभीर दिखाई दे रहा है। जिन अभिभावकों को यह शिकायत थी, उनके लिए विभाग ने यह व्यवस्था पूर्व में ही कर दी थी कि वे अपने फार्म विभाग को सीधे जमा कर दें। जिसके बाद इन प्रवेश फार्मों को संबंधित स्कूल में जमा कराने की जिम्मेदारी विभाग की होगी। अब तक विभाग के पास ऐसे सैकड़ों फार्म आ चुके हैं जिनके प्रवेश प्रक्रिया संबंधी जिम्मेदारी विभाग शुरू भी कर चुका है। इसी संबंध में नगर शिक्षाधिकारी ने निजी स्कूल संचालकों की एक बैठक में उन्हें निर्देश दिए कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत उन्हें कुल सीटों में से 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित व निर्धन वर्ग के बच्चों को प्रवेश देकर भरनी होगी(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,9.7.11)।

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