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09 जुलाई 2011

हरियाणाःएमपीएचडब्ल्यू की छात्राओं के भविष्य पर लटकी तलवार

प्रदेशभर की एमपीएचडब्ल्यू छात्राओं की निर्धारित समय सीमा बीत जाने के बावजूद परीक्षा नहीं हुई है। अब इन छात्राओं के भविष्य पर तलवार लटक गई है।

अभ्यर्थियों का प्रदेश के आठ एमपीएचडब्ल्यू ट्रेनिंग स्कूल में चार फरवरी 2010 को दाखिला हुआ था। एक साल की अवधि इस वर्ष चार फरवरी को पूरी हो गई। इसके अनुसार प्रथम वर्ष के पेपर फरवरी माह में हो जाने चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।


आगामी चार अगस्त को कोर्स की अवधि पूरी हो जाएगी और सभी छात्राओं को घर भेज दिया जाएगा। कायदे से इस अवधि के दौरान द्वितीय वर्ष के पेपर भी हो जाने चाहिए थे, लेकिन अभी तक प्रथम वर्ष के पेपर भी नहीं हुए। फिलहाल पेपर के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में रोहतक, गुड़गांव, करनाल, भिवानी, मेवात, हिसार, अंबाला व फरीदाबाद में ट्रेनिंग स्कूल हैं। 
अगर परीक्षाएं नहीं हुई तो इन अभ्यर्थियों को घर बैठना पड़ेगा, क्योंकि परीक्षाएं नहीं होने की सूरत में उन्हें आगे एडमिशन लेने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इस कोर्स के आधार पर अभ्यर्थी एएनएम व जीएनएम कोर्स में दाखिला लेते हैं। उधर, नर्सिग काउंसिल की रजिस्ट्रार सुमित्रा का कहना है कि एडमिशन देरी से हुए थे, इसलिए परीक्षाएं नहीं हुई हैं। वैसे सेशन का टाइम सितंबर में बनता है, तब तक परीक्षाएं हो जाएंगी।

प्राइवेट में हो चुकी परीक्षा

वहीं, प्रदेश के जितने भी प्राइवेट एमपीएचडब्ल्यू ट्रेनिंग स्कूल हैं, उनके अभ्यर्थियों की प्रथम वर्ष की परीक्षा हो चुकी हैं। जबकि अंतिम सत्र की परीक्षा होगी। प्रथम वर्ष में तीन पेपर होते हैं, वहीं अंतिम सत्र में मिडवाइफरी का एक पेपर होता है। कुछ पेपर आंतरिक मूल्यांकन के होते हैं।

इसलिए हो रही देरी

विभाग की बात मानें तो कोर्स में दाखिले की प्रक्रिया सितंबर-अक्टूबर में होती है। 2009 में रिजल्ट की पूरी जांच करने व उसे तैयार करने में समय लग गया। अंतिम मंजूरी प्रदेश के हेल्थ कमिश्नर आफिस से मिलती है। लिहाजा देरी के कारण परीक्षाएं समय पर नहीं हो पाई(दैनिक भास्कर,रोहतक,9.7.11)।

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