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14 जुलाई 2011

विकलांग कोटे पर जामिया को नोटिस

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विविद्यालय में विकलांग कोटे के 3 फीसद आरक्षण को नजरअंदाज किए जाने को लकर मुख्य आयुक्त(विकलांगता) ने विविद्यालय को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। जामिया में ईटीई डिप्लोमा कोर्स में तीन फीसद विकलांग आरक्षण के तहत तीन सीट की जगह केवल दो हीं सीटों पर दाखिला दिया गया। जिसको लेकर यूनिकेयर एनजीओ के अध्यक्ष मतलूब रजा ने मुख्य आयुक्त(विकलांग्ता) से शिकाय की थी। जिसके बाद उपायुक्त ने जामिया को कारण बताओ नोटिस जारी कर दस दिन में जवाब मांगा है। श्री रजा ने बताया कि जामिया में ईटीई डिप्लोमा कोर्से की 100 सीटों की दाखिला प्रक्रिया चलाई गई। जिसमें 50 सीटें हिन्दी और इतनी हीं सीटें उर्दू माध्यम के विद्यार्थियों के लिए तय थीं। इन सीटों में तीन फीसद आरक्षण के तहत तीन सीटें थीं। जिसके तहत प्रवेश परीक्षा में 7 विकलांग विद्यार्थी सफल हुए हैं। इसमें से 2 विद्यार्थियों को हिन्दी माध्यम की सीटों पर तो दाखिला दे दिया गया है। लेकिन उदरु माध्यम की एक सीट पर दाखिला न देकर इससे सामान्य वर्ग में परिवर्तित कर दिया गया, जोकि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन है। नियम के तहत विकलांग कोटे की सीट सामान्य वर्ग में परिवर्तित नहीं की जा सकती है। शिकायत के बाद जारी कारण बताओ नोटिस में पूछा है कि क्यों ईटीई डिप्लोमा पाठय़क्रम में विकलांग वर्ग के लिए 3 फीसद आरक्षित सीटें नहीं दी गई। इसके अलावा ईटीई उदरु माध्यम में विकलांग कोटे के विद्यार्थियों को साक्षात्कार में क्यों नहीं बुलाया गया। यह भी पूछा गया है कि आरक्षित सीट सामान्य वर्ग में कैसे बदल दी गई। जामिया प्रशासन को यह भी हिदायत दी गई है जब तक यह मामला नहीं निपटता है तब तक एक सीट खाली रहेगी और उस पर दाखिला नहीं हो सकता है(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,14.7.11)।


दैनिक भास्कर की रिपोर्टः
विकलांग कोटे की सीट सामान्य श्रेणी के उम्मीदवार को दिए जाने के मामले में जामिया मिलिया इस्लामिया को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। विश्वविद्यालय को जारी इस नोटिस के तहत उससे कहा गया है कि वह 10 दिन के भीतर डिप्लोमा इन एलिमेंट्री टीचर एजुकेशन (ईटीई) के तहत विकलांग कोटे के उर्दू माध्यम के छात्रों के लिए उपलब्ध एक सीट सामान्य श्रेणी को दिए जाने पर स्पष्टीकरण दे। 

डिप्टी मुख्य आयुक्त टीडी धारियाल की ओर से जारी आदेश के तहत कहा गया है कि विश्वविद्यालय कोटे के लेकर किए गए इस स्थानांतरण की जानकारी दस दिन के भीतर शिकायतकर्ता मतलूब रजा को व्यक्तिगत व पोस्ट के माध्यम से उपलब्ध कराए। 

इसके बाद यदि मतलूब रजा को लगता है कि जवाब सही नहीं है तो वह अगले तीन दिनों के भीतर अपनी आपत्ति फिर से दर्ज करा सकते हैं। मतलूब रजा से जब मामले के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि विश्वविद्यालय में उपलब्ध इस पाठ्यक्रम में हिन्दी माध्यम के छात्रों के लिए 100 और उर्दू माध्यम के छात्रों के लिए 50 सीटे हैं, यानि तीन फीसदी विकलांग कोटे में दो सीटें हिन्दी माध्यम के लिए और एक सीट उर्दू माध्यम के छात्रों के लिए थी। 

उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा के तहत हिन्दी माध्यम के लिए सात उम्मीदवारों को बुलाया गया और दो को चुना गया। जबकि, उर्दू माध्यम में एक भी उम्मीदवार को यह अवसर नहीं मिला और उस सीट के सामान्य श्रेणी को उपलब्ध करा दिया गया। 

मतलूब रजा का कहना है कि ईटीई हिन्दी व उर्दू दोनों ही अलग-अलग पाठ्यक्रम हैं, इसलिए दोनों के लिए अलग मेरिट लिस्ट बननी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं किया जाता है जो छात्रों के साथ अन्याय है। यदि दोनों के लिए अगल-अलग प्रक्रिया अंजाम दी जाए तो सम्भव है कि छात्र दोनों ही माध्यमों के लिए आवेदन करें और कोटे का छात्रों को पूरा लाभ मिले।

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