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18 जुलाई 2011

झारखंड के अभिभावक कर्ज लेकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं निजी स्कूलों में

किसी स्कूल में बस किराया तो कहीं किताब का खर्च हजार रुपए से भी ज्यादा है। इसके अलावा पब्लिक स्कूल में दो-दो ड्रेस और जूते, टाई और बेल्ट सहित लंबे-चौड़े खर्च की राशि जुटाना, उन लोगों के लिए अब मुश्किल हो रहा है, जिन्होंने बीपीएल श्रेणी से बड़े निजी पब्लिक स्कूलों में अपने बच्चों को दाखिला दिलाया। कई अभिभावकों को पैसे जुटाने में परेशानी हो रही है तो कई ऐसे भी हैं जो अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए कर्ज लेकर स्कूल फीस दे रहे हैं।

आरटीई के तहत निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के बाद अब बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो रहा है। सरकार ने स्कूल फीस देने की घोषणा कर दी है, लेकिन दूसरे खर्च इतने लाद दिए गए हैं कि गरीब अभिभावक इसका वहन करने में असमर्थ हैं। कुछ अभिभावक ऐसे हैं जिनकी मासिक आमदनी 3000 रुपए है। बच्चों के स्कूल में हर माह उन्हें 1500 से ज्यादा रुपए देना पड़ रहा है।

केस - 1

डोरंडा निवासी ए कच्छप की पुत्री दीपा कच्छप का दाखिला बीपीएल श्रेणी में लोरेटो कॉन्वेंट में हुआ। लेकिन फीस की मोटी रकम के साथ अन्य शुल्क देने में उन्हें परेशानी हो रही है। कहीं से 12 हजार रु. जुटा कर एडमिशन तो करा लिया। अब आगे की फीस देने की चिंता अभी से सता रही है।


केस - 2
नामकुम निवासी के टोप्पो के पुत्र अमन टोप्पो का नाम बिशप वेस्टकॉट, नामकुम में बीपीएल श्रेणी में हुआ। प्राइवेट जॉब कर ये किसी तरह घर चलाते हैं। इन्होंने भी एडमिशन के समय स्कूल को करीब 13 हजार रुपए जमा किए। अब हर महीने होने वाले अन्य खर्च से ये परेशान हैं। 


केस - 3

बिशप वेस्टकॉट गल्र्स स्कूल, डोरंडा में रमेश ने अपनी बेटी सोनी कुमारी का एडमिशन कराया। झारखंड सरकार द्वारा फीस की राशि अब मिलेगी, इस बात से तो ये खुश हैं, लेकिन हर महीने कॉपी, बस किराया और प्रोजेक्ट वर्क के नाम पर होने वाले खर्च से ये चिंतित रहते हैं।

बड़े स्कूलों के बड़े खर्च

बस किराया : 300 से 500 रुपए
दो ड्रेस : 800 से 1200 रुपए
साप्ताहिक टी शर्ट : 200 रुपए
बेल्ट टाई और बैज : 250 से 400 रुपए
दो जूते और मोजे : 400 से 600 रुपए
खेलकूद खर्च : 200 से 400 रुपए 
प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर खर्च : 200 से 400 रुपए(राजीव गोस्वामी,दैनिक भास्कर,रांची,18.7.11)

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