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17 जुलाई 2011

यूपीःप्रतिकूल प्रविष्टि पर दो साल नहीं बन सकेंगे सीएमओ

स्वास्थ्य विभाग में अनियमितताओं पर लगाम लगाने को हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद शासन ने मुख्य चिकित्साधिकारीव मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की तैनाती नीति को दुरुस्त किया है। अब ज्येष्ठता सूची की अनदेखी ना हो सकेगी और ना ही विभागीय कार्यवाही जारी रहने के दौरान किसी भी चिकित्सक को सीएमओ अथवा सीएमएस पद पर नियुक्त नहीं किया जाएगा। नई नीति जारी करते हुए सचिव स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवा मृत्युंजय कुमार नारायण ने बताया कि किसी चिकित्सक को जिस वित्तीय वर्ष में परिनिंदा/प्रतिकूल प्रविष्टि मिली हो उसे उक्त वर्ष के अलावा एक वर्ष बाद तक भी सीएमओ या सीएमएस नियुक्त नहीं किया जाएगा। इसके अलावा जिनकी वेतन वृद्धि रोक दी हो या दंडस्वरूप संयुक्त निदेशक वेतनमान के सापेक्ष निम्नतर प्रक्रम में अवनत किया गया हो, ऐसे चिकित्सकों को अगले पांच वर्ष तक उक्त पदों पर तैनात नहीं किया जा सकेगा। यदि लेवल-4 संयुक्त निदेशक ग्रेड में कार्यरत किसी चिकित्सक को शासकीय गबन या क्षति में दोषी पाया जाता है तो उसे दस वर्ष में उक्त पदों के उपयुक्त नहीं माना जाएगा। साथ ही जिनकी सेवानिवृत्ति में एक वर्ष शेष हो और पूर्व में ऐसे पदों पर न रहें तो उन्हें भी अंतिम वर्ष में भी तैनाती नही मिलेगी। सीएमओव सीएमएस पद में व्यापक बदलाव की तैयारी में जुटे विभाग ने 25 जून तक चिकित्सकों से प्रशासनिक पद पर कार्य करने की इच्छा या अनिच्छा के बारे लिखित जानकारी चाही थी। सूत्रों के अनुसार 376 चिकित्सकों ने प्रशासनिक पद लेने में कोई दिलचस्पी नहीं ली। लिखित स्वीकृति के बिना अब कोई जूनियर चिकित्सक ज्येष्ठता सूची को लांघ कर सीएमओ अथवा सीएमएस तैनात नहीं होगा। नई नीति के तहत जुलाई के अंत तक सीएमओ और सीएमएस पद में व्यापक फेरबदल कर लिया जाएगा(दैनिक जागरण,लखनऊ,17.7.11)।

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