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21 जुलाई 2011

छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रवेश फंडेःएडमिशन के साथ लैपटॉप का लालच

व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों की दुकानदारी ने एक कदम आगे बढ़कर अब त्यौहारी सीजन की तरह ऑफर देना शुरू कर दिया है। एक खरीदी पर एक फ्री की तर्ज पर प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों ने एसएमएस का जाल सा बिछा दिया है। इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए तकनीकी शिक्षा संचालनालय की ओर से आयोजित ऑनलाइन काउंसिलिंग प्राइवेट कॉलेजों पर बेहद भारी पड़ रही है।

छात्रों से सीधा संपर्क न होने की वजह से कॉलेजों को मालूम ही नहीं हो रहा है कि कौन सा छात्र किस कॉलेज में एडमिशन ले रहा है। सो निजी कॉलेजों की ओर से पीईटी में शामिल होने वाले सभी छात्रों को निजी कॉलेजों के प्रबंधन की ओर से विशेष लुभावने ऑफर दिए जा रहे हैं। उन्हें फोन और एसएमएस से कॉलेजों की खूबियों के साथ जो सुविधाएं फ्री दी जा रही है उसके बारे में मैसेज से बताया जा रहा है।


निजी कॉलेजों की ओर से लैपटॉप फ्री देने के साथ ही खाना-रहना भी मुफ्त देने की बात कही जा रही है। बीई की काउंसिलिंग में शामिल होने वाले छात्र एसएमएस और फोन कॉल से परेशान हो रहे हैं। इसकी शिकायत तकनीकी शिक्षा संचालनालय के अधिकारियों भी की गई है। पुख्ता दस्तावेज नहीं होने के कारण संचालनालय भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।

छात्रों ने कहा

दस्तावेजों के परीक्षण के लिए तकनीकी शिक्षा संचालनालय पहुंचे छात्र अंकित भारद्वाज ने बताया कि पीईटी का रिजल्ट आने के कुछ दिन बाद से ही उनके पास कॉलेजों में एडमिशन लेने के लिए लगातार एसएमएस आ रहे हैं। सुमित दास के अनुसार हर रोज किसी न किसी प्राइवेट कॉलेज के प्रतिनिधि का फोन आता है। इसमें कई तरह के ऑफर भी दिए जाते हैं। सुप्रिया अग्रवाल ने कहा कि वे किसी भी एसएमएस का भरोसा नहीं कर रही हैं। उन्होंने कॉलेज का फैसला अपने पैरेंट्स पर छोड़ दिया है। उनके पिता कॉलेज का निरीक्षण कर रहे हैं।

सीटें भरना मजबूरी, इसलिए प्रचार

राज्य बनने के समय प्रदेश में केवल सात इंजीनियरिंग कॉलेज थे, लेकिन वर्तमान में कॉलेजों की संख्या 50 हो गई है। इसमें 45 कॉलेज प्राइवेट हैं। काउंसिलिंग में इस वर्ष 50 कॉलेजों की 20250 सीटों को शामिल किया गया है। हर साल की काउंसिलिंग के बाद हजारों की संख्या में सीटें खाली रह जाती हंै, जिसे निजी कॉलेजों को आर्थिक रूप से नुकसान होता है। 

कॉलेज चलाने का ज्यादातर खर्च मैनेजमेंट कोटे की सीटों के आय से मेंटेन होता है। यही वजह है कि निजी इंजीनियरिंग कॉलेज इस वर्ष किसी भी तरह का रिस्क उठाने के मूड में नहीं है। वे ज्यादा से ज्यादा प्रचार कर छात्रों को अपने कॉलेजों की ओर रिझाना चाहते हैं। प्रचार का हर तरीका प्राइवेट कॉलेजों की ओर से अपनाया जा रहा है।

इस तरह के मिल रहे ऑफर

- प्रवेश लेने के साथ ही लैपटॉप फ्री। 

- हॉस्टल में प्रवेश लेने के साथ ही मेस फ्री। 

- फीस कई इंस्टॉलमेंट में देने की सुविधा।

- शैक्षणिक भ्रमण के लिए विदेश का टूर। 

- बेहतर कंपनियों में प्लेसमेंट। 

- हाईटेक क्लास रूम की सुविधा, दूसरे राज्यों के लेक्चरर एक ही क्लास में।

कॉलेज कैंपस का कर लें भ्रमण

किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश लेने से पहले संबंधित छात्र कॉलेज की फैकल्टी, प्रोफेसरों की योग्यता, लैब, अत्याधुनिक सुविधाएं, हॉस्टल और परिसर में सुविधाएं आदि की जानकारी जुटा लें। किसी भी कॉलेज की सुविधाओं के बारे में वर्तमान में उस कॉलेज में पढ़ रहे छात्र सबसे ज्यादा बेहतर तरीके से बता सकते हैं। इस वजह से ऐसे छात्रों से एक बार मुलाकात जरूर करना चाहिए। एडमिशन लेने से पहले एक बार अभिभावकों के साथ कॉलेज का निरीक्षण जरूर करना चाहिए। किसी भी तरह के विज्ञापन या सुनी-सुनाई बातों पर यकीन न कर प्रत्यक्ष रूप से जानकारी एकत्र करना चाहिए। यह छात्रों के पूरे भविष्य का सवाल होता है। 

एमआर खान, अस्सिटेंट डायरेक्टर, तकनीकी शिक्षा संचालनालय और प्राचार्य, न्यू जीईसी(असगर खान,दैनिक भास्कर,21.7.11)

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