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13 जुलाई 2011

करियर डेवलपमेंट स्टडीज में भविष्य

विकासशील और विकसित देशों में डेवलपमेंट के मुद्दे और योजनाएं परवान पर हैं। निजी कंपनियां हों या सरकारी संस्थान, इस दिशा में अपने कदम तेजी से बढ़ा रहे हैं। लेकिन विकास से जुड़ी योजनाओं को व्यावहारिक तौर पर सफल कैसे बनाया जाए। बाजार और समाज की जरूरतों के बीच उसे कैसे स्थापित किया जाए, इसका हुनर जानना जरूरी है। इसे सिखाने के लिए ही विविद्यालयों में विकास अध्ययन यानी डेवलपमेंट स्टडीज का कोर्स तैयार किया गया है। अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र और मानवशास्त्र जैसे विषयों के उचित समावेश से तैयार किया गया यह इंटरडिसिप्लनरी कोर्स भारत में अपनी अलग पहचान बना रहा है। इस तरह के कोर्स को पहले मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट में और अब दिल्ली के अंबेडकर यूनिवर्सिटी में शुरू किया गया है। इन दोनों के अलावा अन्य निजी संस्थानों में भी इसे डिग्री और डिप्लोमा कोर्स के रूप में चलाया जा रहा है। अंबेडकर विवि में एमए इन डेवलपमेंट स्टडीज के नाम से चल रहा यह कोर्स छात्रों को विकास-थ्योरी और प्रैक्टिकल, दोनों पक्षों से रू-ब-रू कराता है। 

कोर्स :

इस कोर्स में समाज के विकास का फामरूला समझाने के लिए छात्रों को राज्य और बाजार की संरचना से भी अवगत कराया जाता है। भारत के परिप्रेक्ष्य में विकास, चिंतन, इसको लेकर चली बहसें और इसके अनुभवों से अवगत कराया जाता है। विकास का मानवीय पहलू, पर्यावरण और विकास, सार्वजनिक पॉ लिसी की रूपरेखा से भी रू-ब-रू कराया जाता है। इसके बाद छात्रों को सेमिनार, कार्यशाला, रिसर्च वर्क, इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट के काम से भी गुजरना होता है। पढ़ाई के दौरान छात्रों को विकास के अलग आयामों और क्षेत्रों में से किसी एक में स्पेश्लाइज्ड भी किया जाता है। इसके तहत, इलेक्टिव विषयों की लंबी लिस्ट तैयार की गई है।

एक्सपर्ट स्पीक्स :


अंबेडकर विविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर अस्मिता काबरा ने बताया कि इंटरडििसप्लिनरी कोर्स के तहत थ्योरी और प्रैक्टिकल का बेहतर समावेश किया गया है। इसमें करीब 25 फीसद हैंड ऑन प्रैक्टिस भी है। 64 क्रेडिट में से 8 डिजर्टेशन का पेपर है। छात्रों को क्षेत्र विशेष में दक्ष भी बनाया जाता है, चाहे वह सोशल सेक्टर हो या विस्थापन, पर्यावरण हो या एनजीओ। छात्रों को रिसर्च मेथड की विशेष जानकारी दी जाती है। उन्हें डाटा कलेक्शन और फिर उसका विश्लेषण करने का तौर-तरीका सिखाया जाता है। छात्रों को कोर्स के दौरान इंटर्नशिप पर भी भेजा जाता है, ताकि वे इससे जुड़े मुद्दे का व्यावहारिक ज्ञान हासिल कर सकें।

दाखिला :

इसमें 64 सीटें हैं। दाखिले के लिए आवेदनपत्र जून में मंगाए जाते हैं। दाखिले के लिए स्नातक में 50 फीसद अंक चाहिए। पढ़ाई अंग्रेजी में। फीस प्रति सेमेस्टर 16,000 है। गरीब वर्ग के छात्रों के लिए फीस माफी और स्कॉलरशिप भी है।

करियर

एनजीओ, कॉरपोरेट संस्थान और निजी संस्थानों में बड़े स्तर पर बतौर रिसर्चर, प्रोग्राम अधिकारी के रूप में काम करने का अवसर है। कॉरपोरेट सेक्टर, अगर कहीं कंपनी स्थापित करना चाहती है तो वहां उसके कायरें या उद्योग का समाज पर प्रभाव किस रूप में पड़ेगा, इसका आकलन वह प्रोग्राम अधिकारी से कराती है। इस तरह के अधिकारी कॉरपोरेट सोशल रिसोपॉसेबिलिटी यूनिट में काम करते हैं। यह यूनिट आजकल ज्यादातर कॉरपोरेट सेक्टर में है। सरकारी संस्थानों में पॉलिसी निर्माण के स्तर पर ऐसे लोगों की अच्छी-खासी मांग है।

(अनुपम,राष्ट्रीय सहारा,12.7.11)

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