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04 जुलाई 2011

बिहार के दलालों का गढ़ बना छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय

छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विविद्यालय बिहार के दलालों का गढ़ बनता जा रहा है। अब तक पकड़े गये मुन्ना भाइयों में सबसे ज्यादा बिहार के क्षेत्र के ही है। बिहार क्षेत्र से प्रवेश लिए छात्रों के प्रमाण पत्रों की गहन जांच करने पर विचार हो रहा है। चिकित्सा विविद्यालय यूं तो किसी न किसी मुन्नाभाई को प्रत्येक वर्ष पकड़ा जाता है। चिविवि में बीते तीन वर्षो में बारह से ज्यादा मुन्ना भाइयों को पकड़ चुका है। पकड़े गये मुन्ना भाइयों में सबसे ज्यादा बिहार क्षेत्र है जो फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे प्रवेश कर जाते है। गत वर्ष ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे छात्र की किसी ने मुखबरी कर दी थी। जिसकी जांच पड़ताल में प्रमाण पत्र फर्जी निकले थे, जबकि काउंसलिंग में वह नहीं पकड़ा गया था। चिविवि प्रशासन के प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि पकड़े गये मुन्नाभाईयों के प्रमाण पत्रों व अन्य कागजात को बारीकी से जांच पड़ताल करने पर पकड़ा जा सकता है। अगर सामान्य तरीके से देखा जाए तो कागजात असली प्रतीत होते है। शनिवार (कल) को पकड़े मुन्नाभाई ने जब प्रवेश पत्र व जमा शुल्क रसीद दिखायी तो चिविवि प्रशासन को अपनी रसीद मंगाकर असली -नकली की पहचान करनी पड़ी थी। चिविवि के काउंसलिग प्रक्रिया से जुड़े कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार के दलालों को यहां की रसीद व अन्य कागजातों को बारे में सटीक जानकारी है। तभी रसीद असली जैसी दिख रही थी। उनका मानना है कि चिविवि का स्तर ऊंचा होने के कारण दलाल यहां प्रवेश दिलाने के लिए आसान समझते है। उनका मानना है कि दलाल किसी यहां पर किसी न किसी से जुड़ा हो सकता है जो कि लगातार प्रवेश दिलाने का कार्य करता रहता है। ऐसे में गत वर्ष पकड़े गये डाक्टर से पूछताछ किया जाना आवश्यक था। परन्तु पुलिस को सौपने के बाद चिविवि की जिम्मेदारी समाप्त हो जाती है। फिलहाल कल की घटना के बाद एक बार फिर बिहार क्षेत्र से प्रवेश ले चुके अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों के गहन जांच करने पर विचार हो रहा है। यह जांच यूपीपीजीएमई व एमबीबीएस, डेंटल के सभी छात्रों की हो सकती है। जल्द ही बैठक करके इस पर निर्णय लिया जाएगा(राष्ट्रीयसहारा,लखनऊ,4.7.11)।

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