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23 जुलाई 2011

डीयूःफ्रेशर्स के बहाने शुरू हुई राजनीति

फ्रेशर्स की कैम्पस में एंट्री हुई नहीं कि छात्र राजनीति को जैसे संजीवनी मिल गई। दीवारों पर फ्रेशर्स की स्वागत के लिए लगे पोस्टर इस बात की गवाही दे रहे हैं। एनएसयूआई जहां राहुल गांधी के नाम पर युवाओं को लुभाने में लगी है, तो वहीं एबीवीपी स्वामी विवेकानंद के नाम पर लोगों को लामबंद कर रहा है।

इस पोस्टर युद्ध का असर विश्वविद्यालय की वॉल ऑफ डेमोक्रेसी पर भी देखने को मिल रही है। सर्वोच्च न्यायालयों के आदेश के तहत लागू कड़ी चुनावी आचार संहिता के चलते छात्रसंघ अब प्रचार का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहता।

इस बारे में जब एक छात्र नेता से पूछा गया, तो उनका कहना था कि भई, अभी चुनाव का समय तो है नहीं। कोई चुनाव आचार संहिता का भय नहीं और न ही कार्रवाई के दायरे में आने का खौफ। जब छात्रों से जुड़ने का मौका मिला है, तो इसे भला हम क्यों चूकें।


तो वहीं, एक दूसरे छात्र नेता का कहना है कि कैम्पस में राजनीति करनी है, तो पोस्टर प्रचार करना ही होगा। फ्रेशर्स कॉलेज परिसर में दस्तक दे रहे हैं, उन्हें पार्टी से जोड़ना है, तो यह सब तो करना ही पड़ता है। उन्होंने बताया कि इस प्रचार का फायदा आज नहीं सितंबर में होने वाले छात्रसंघ चुनावों में देखने को मिलेगा(दैनिक भास्कर,दिल्ली,23.7.11)।

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