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19 जुलाई 2011

डीयू में नो टबैको का पाठ

डीयू के फच्चे पहले दिन नो टबैको का सबक सीखेंगे। इस बार यूनिवर्सिटी ने नो स्मोकिंग कैंपेन को अपने ओरिएंटेशन प्रोग्राम का मुख्य हिस्सा बनाया है। स्टूडेंट्स के टाइम टेबल पर भी इस बारे में मैसेज लिखे होंगे और इस बारे में कई सेमिनार भी आयोजित होंगे।

वर्ल्ड लंग फाउंडेशन (डब्ल्यूएलएफ) और दिल्ली पुलिस की मदद से 2006 में डीयू ने स्मोक फ्री कैंपस कैंपेन शुरू किया था। इसके तहत कैंपस के अंदर तंबाकू उत्पाद बेचने पर प्रतिबंध है। स्मोकिंग करते हुए पकड़े जाने पर 200 रुपये जुर्माने का भी प्रावधान है। बावजूद इसके कैंपस में लोग धड़ल्ले से स्मोकिंग करते दिख जाते हैं। नए सेशन में इस नियम को सख्ती से लागू करने के लिए यूनिवर्सिटी ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बनाई है।

इसके तहत कॉलेज खुलने के पहले दिन यानी 21 अगस्त को पूरे कैंपस और डीयू के सभी कॉलेजों में स्मोक फ्री एनवायरनमेंट से संबंधित पोस्टर लगाए जाएंगे। ओरिएंटेशन और सेमिनार में नए स्टूडेंट्स को यह बताया जाएगा कि कैंपस में स्मोकिंग अपराध है। इतना ही नहीं, वे चोरी छिपे भी ऐसा न कर सकें इसलिए सीनियर्स की ड्यूटी लगाई जाएगी और स्मोक करते हुए पकड़े जाने पर 200 रुपये का फाइन वसूला जाएगा।


डब्ल्यूएलएफ के पदाधिकारी डॉ. राकेश महाजन ने बताया कि इस बार फ्रेशर्स को भी नो टबैको ब्रिगेड का हिस्सा बनने के लिए भी आमंत्रित किया जाएगा। ब्रिगेड के सदस्य नोडल ऑफिसर के तौर पर काम करेंगे। डब्ल्यूएलएफ के अध्यक्ष जी. के. खत्री का कहना है कि कॉलेज में दाखिले की उम्र में ही सबसे ज्यादा लोग धूम्रपान की शुरुआत करते हैं। 
अगर इसी स्तर पर उन्हें जागरूक कर दिया जाए तो इसकी लत का शिकार होने से बचाया जा सकता है। भले ही डीयू में ऐसा पहली बार हो रहा हो लेकिन अमेरिका जैसे देशों के शिक्षण संस्थानों में ऐसे प्रयोग अनिवार्य हैं। 

पिछले दिनों एसोचेम द्वारा दिल्ली, मुंबई, गोवा, कोचीन, चेन्नै, हैदराबाद, इंदौर, पटना, पुणे, चंडीगढ़ और देहरादून में रहने वाले 3000 स्टूडेंट्स पर किए गए एक सवेर् में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। सवेर् में 20 पर्सेंट स्टूडेंट्स ने माना कि वे नियमित धूम्रपान करते है। इनमें से करीब 10 पर्सेंट दिन में एक सिगरेट तो बाकी एक पैकेट तक इस्तेमाल कर लेते हैं। 

ऐसे स्टूडेंट्स स्मोकिंग पर साल में साढ़े तीन से साढ़े चार हजार रुपये तक पर खर्च करते हैं। 94 पर्सेंट टीनएजर्स ने माना कि सिगरेट खरीदते समय उनसे उनकी उम्र के बारे में कोई दुकानदार नहीं पूछता, जबकि असलियत यह है कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों को तंबाकू उत्पाद बेचना कानूनन जुर्म है। यह बात टीनएजर्स को भी पता है। स्मोकिंग के मामले में दिल्ली, एनसीआर के सबसे आगे हैं। ऐसे में सख्त मॉनिटरिंग जरूरी है(नीतू सिंह,नवभारत टाइम्स,दि्ल्ली,19.7.11)।

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