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05 जुलाई 2011

अपने बिजनेस की सोचें

आज अधिकतर यंग जेनरेशन कंपीटीटिव एग्जाम में असफलता और जॉब न मिलने के कारण हताश हैं। ऐसे में, अपने को बेरोजगार कहलाते हुए इधर-उधर भटक रहे हैं। यानी लिमिटेड जॉब अनलिमिटेड कैंडिडेट। ऐसी परिस्थिति में बहुत कम लोगों को सफलता मिलती है। नौकरी का आवेदन तो सैकड़ों लोग करते हैं, पर चयन तो सबका नहीं होता। जिसका चयन नहीं हो पाता, वह अपने आपको अयोग्य मानना शुरू कर देता है। हायर एजुकेशन के बाद सर्विस पर निर्भर रहने वाले युवा अपने भविष्य के प्रति अन्याय होना मान बैठते हैं। यंग जेनरेशन को अपनी हैसियत और रुचि के अनुसार, कोई बिजनेस चुनकर सेल्फ डिपेंड बनना चाहिए। बेरोजगारी के सागर से रोजगाररूपी मोती चुन सहेजकर रखना एजुकेटेड यंग जेनरेशन के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। आज के अधिकतर शिक्षित युवाओं का झुकाव नौकरी की तरफ ज्यादा और बिजनेस की ओर कम है। बहुत कम ऐसे युवा हैं, जो स्वेच्छा से किसी बिजनेस की शुरुआत करते हैं। यदि करते भी हैं, तो बसा-बसाया फैमिली बिजनेस संभालते हैं। या सर्विस ना मिलने पर बहुत सोच- समझकर परिजनों की सलाह लेकर ही किसी अनुकूल बिजनेस की ओर कदम बढ़ाते हैं, जिनमें से कुछ सफलता की ओर आगे बढ़ते चले जाते हैं। कुछ डरकर पीछे हट जाते हैं। सेल्फ डिपेंड होने से ही सेल्फ-हेल्प मिलती है। यंग जेनरेशन को स्वयं का बिजनेस लगाकर आत्मनिर्भर बनना चाहिए। कई युवा बिजनेस की स्टार्टिग में आने वाली कठिनाइयों से डर जाते हैं और बिजनेस करने का इरादा छोड़ देते हैं। कौन- सा बिजनेस अपनाना चाहते हैं, उसके विषय में कितनी जानकारी है, यह सब अपने मन में साफ कर लीजिए। फिर बिजनेस स्टार्ट करने के बारे में सोजिए। सदैव काम के प्रति पॉजिटिव एटीट्यूट रखिए और कभी भी अपने बिजनेस को निगेटिव रूप में ना लीजिए। कई बिजनेसमेन ऐसे भी हैं, जो दूसरे के बिजनेस से अपने व्यवसाय की तुलना कर अपने आपको कमजोर महसूस करते हैं। ऐसी तुलना ठीक नहीं है। सेल्फ बिजनेस को महत्व दें तथा मेहनत और सफलता के साथ आगे बढ़ें। का बोलबाला

यदि सेल्फ बिजनेस में आगे बढ़ना चाहते हैं, तो बिजनेस करने से पहले रखें कुछ बातों का ध्यान-


. सबसे पहले तो इस फीलिंग्स को मन से निकाल दें कि जॉब नहीं मिली, इसलिए बिजनेस कर रहा हूं। किसी भी क्षेत्र में मजबूरी का भाव आपकी तरक्की में बाधक बनता है। . विपरीत परिस्थिति में भी कस्टमरों के साथ अपनत्व और विनम्रता से पेश आएं। यदि ग्राहक गुस्से में भी हो तो पेशेंस रखें। उसे वास्तविक हालात से अवगत कराएं। . व्यापारी को सर्वप्रथम नरम होना सीखना पड़ता है। रूखा व्यवहार बिजनेस के नियम के खिलाफ है। . विसनीयता बनाये रखें। बेचने से पहले उस सामान के बारे में जानकारी हासिल करें। कस्टमर से हमेशा सच बोले, क्योंकि झूठ बोलकर आप एक बार सामान बेच सकते हैं, बार-बार नहीं। . कंपनी द्वारा लिखी गुणवत्ता को नजरअंदाज न करें। अपने स्तर पर भी उसे परखें, उसके बाद ही कोई सामान सेल करें। . यदि आप किसी ऐसे व्यवसाय से जुड़े हैं, जो किसी हैंडमेड जैसे आभूषण निर्माण, प्रिंटिंग, टेलरिंग, इलेक्ट्रॉनिक या फर्नीचर आदि, तो आपके द्वारा दी गई तारीख पर ही डिलीवरी दें। कस्टमर को बार-बार घुमाने पर बिजनेस पर निश्चित तौर पर इसका प्रभाव पड़ता है। . यदि सामान खरीदते या देखते वक्त किसी कस्टमर से आपका कोई सामान टूट-फूट जाए, तो तुरंत रिएक्ट करने के बजाय ठंडे दिमाग से काम लें। यदि सामान कम मूल्य का हो तो ‘कोई बात नहीं’ कह कर टाल दें। यदि महंगा हो तो प्रॉफिट छोड़ अत्यंत विनम्र होकर सामान की वास्तविक कीमत मांगें। . शुरू में प्रॉफिट कम ही रखें। यह बिजनेस बढ़ाने के लिए बहुत जरूरी है। ज्यादा लालच के चलते कभी भी नकली या मिलावटी सामान न बेचें। . गारंटी-वारंटी का पूरा ख्याल रखें और ग्राहकों को समझाने में खूब सहयोग करें। . कस्टमर को कभी शिकायत करने का मौका ना दें। यदि कोई शिकायत कर भी हो तो उसकी बातें ध्यानपूर्वक सुनें और जल्दी दूर करने की प्रयास करें। . प्रत्येक वर्ग के ग्राहकों के साथ एक जैसा बर्ताव करें। कस्टमर की क्वालिटी देखकर अपने व्यवहार और मूल्य में हेराफेरी ना करें। . सामान उधार ना बेचें। अगर बेचें भी तो उन कस्टमरों को, जिनसे निश्चित समय पर रकम मिलने की उम्मीद हो। . बिजनेस की बागडोर हमेशा अपने हाथ में रखें, किसी नौकर के भरोसे न छोड़ें क्योंकि नौकर ईमानदार जरूर हो सकता है पर बिजनेस हमेशा व्यवहार कुशलता और निष्ठा से चलता है और इसे खरीदा नहीं जा सकता। स्वयं को ही इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है। . बिजनेस में नियमित होना बहुत जरूरी होती है। निश्चित समय पर दुकान खोले और बंद करें। . दुकान में मुख्य वस्तुओं के साथ सहायक वस्तु भी रखें, ताकि ग्राहकों को इधर-उधर भटकना ना पड़े। . यदि कोई इंडस्ट्री आदि लगानी हो तो कच्चे माल, लागत, खपत आदि का पूरा हिसाब-किताब पहले ही बनाकर विश्लेषण कर लें कि इस बिजनेस में कितनी प्रॉफिट की गुंजाइश है। . सीमित संख्या में नौकरियां हैं, इसे ध्यान में रखते हुए विकल्प के रूप में कृषि के अलावा बिजनेस ही एकमात्र धनोपार्जन का जरिया हैं। अत: किसी भी बिजनेस को लगन और मेहनत के साथ शुरू करना चाहिए, तभी सफलता आपके कदम चूमेगी।
(अनिता घोष,राष्ट्रीय सहारा,5.7.11)

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