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19 जुलाई 2011

विद्यार्थियों को मिल सकती हैं और सुविधाएं

आसान शर्तो पर विद्यार्थियों को एजुकेशन लोन देना भले ही बैंकों को महंगा साबित पड़ रहा हो, लेकिन सरकार इस संबंध में बैंकों को कोई रियायत देने के पक्ष में नहीं है। उलटे सरकार एजुकेशन लोन के नियमों को और ज्यादा उदार बनाने के लिए नए निर्देश जारी करने की तैयारी में है। अलबत्ता बैंकों को ये अधिकार दिया जा सकता है कि वे उन शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों को कर्ज देने से मना कर दें, जिनके पुराने विद्यार्थियों से कर्ज वापस लेने में परेशानी हुई हो। सूत्रों के मुताबिक भारतीय बैंक संघ (आइबीए) बहुत जल्द ही एजुकेशन लोन स्कीम के मौजूदा स्वरूप में बदलाव का दिशानिर्देश जारी करेगा। इसके तहत छात्रों को कर्ज लौटाने के लिए अब 10 वर्ष तक का समय दिया जाएगा। अभी कर्ज लौटाने के लिए छात्रों को अधिकतम सात वर्ष का समय मिलता है। वैसे बैंक तो चाहते हैं कि कर्ज लौटाने की मौजूदा अवधि को सात से घटाकर पांच साल कर दिया जाए, लेकिन सरकार का कहना है कि परिपक्वता अवधि ज्यादा होने की वजह से न सिर्फ विद्यार्थियों पर बोझ कम होगा, बल्कि बैंकों के लिए अपने सालाना खाते-बही में कम समायोजन करना होगा। दरअसल, पिछले दिनों वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ बैठक में सरकारी बैंकों ने एजुकेशन लोन में बढ़ते फंसे कर्जे (एनपीए) का मसला उठाया था। पिछले वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान ही एजुकेशन लोन के वर्ग में 1600 करोड़ रुपये का नया एनपीए बना है। बैंकों ने पिछले वर्ष 43,074 करोड़ रुपये का शिक्षा कर्ज वितरित किया था(दैनिक जागरण,दिल्ली,19.7.11)।

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