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06 जुलाई 2011

रायपुरःनहीं मिल पा रही साइंस स्ट्रीम, दूसरे बोर्ड जा रहे हैं बच्चे

सीबीएसई बोर्ड ने 9वीं एवं 10वीं क्लास में सीसीई सिस्टम लागू किया है। इसके मुताबिक अब मार्कशीट में अंक की जगह उनको ग्रेड दी जा रही है। हां, मार्कशीट की दूसरी तरफ प्वाइंट जरूर दर्शाए गए हैं, लेकिन विद्यार्थियों को इन प्वाइंट्स का बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिल पा रहा है।

पसंदीदा विषय पाने के लिए बी या सी नहीं, बल्कि उन्हें अव्वल ग्रेड चाहिए। अपने स्कूल में पसंदीदा विषय न मिलने के कारण विद्यार्थी स्कूल के साथ बोर्ड बदलने को भी मजबूर हैं। लेकिन यहां भी उनकी समस्या का हल नहीं मिल पा रहा है।

अन्य बोर्ड के स्कूल संचालकों की मानें तो सीबीएसई बोर्ड में पढ़ाई के अलावा अन्य एक्टिविटी को देखते हुए मार्क्‍स दिए जा रहे हैं, इससे बच्चों की योग्यता का पता लगा पाना काफी मुश्किल है।

यहां है समस्या


इस सिस्टम से विद्यार्थियों को पसंदीदा विषय लेने में परेशानी तो हो ही रही है, साथ वे इससे संतुष्ट भी नहीं हैं। उनके अनुसार इससे पढ़ने और न पढ़ने वाले विद्यार्थियों के बीच का फर्क खत्म हो गया है। मार्कशीट में मार्क्‍स की जगह ग्रेड लिखे जाने से उन्हें दूसरे बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में प्रवेश लेने में समस्या हो रही है। 
दूसरे बोर्ड के स्कूल कहते हैं कि सीबीएसई में वैसे भी अच्छे मार्क्‍स मिल ही जाते हैं, क्योंकि इसमें पढ़ाई के साथ ही क्रिएटिविटी और इंटर-पर्सनल स्किल को परखने के बाद ग्रेड में बदलकर मार्कशीट पर दर्शाया जाता है। 

इतना ही नहीं, इसमें 9वीं क्लास की परफॉर्मेंस भी शामिल है। इस वजह से अन्य बोर्ड के संचालक विद्यार्थियों का सिर्फ 10वीं क्लास में परफॉर्मेंस का आकलन नहीं कर पा रहे हैं। इस वजह से बच्चों को प्रवेश लेना टेढ़ी खीर लग रहा है।

हर एक्टिविटी का आकलन

महर्षि विद्या मंदिर की प्रिंसिपल अनिशा शर्मा ने बताया, सीजीपीए के तहत विद्यार्थियों का आकलन किया जा रहा है। इसके तहत मूल्यांकन आसान हो गया है। इस सिस्टम के आधार पर छात्रों की हर एक एक्टिविटी पर पूरे साल बारीकी से नजर रखी जाती है। इससे ही उनकी परफॉर्मेंस परखी जाती है। 

केनब्रिज स्कूल के मेंटर डॉ. अजयकांत शर्मा ने बताया कि ग्रेडिंग सिस्टम ने विद्यार्थियों की तुलना व कंपटीशन को खत्म कर दिया है। उनमें फेल होने का डर और चिंता कम हो गई है। इससे औसत बच्चों का भी कॉन्फिडेंस लेवल बढ़ा है, यदि ग्रेड कम आने से उनको बोर्ड बदलनी भी पड़ रही है तो सीबीएसई मार्कशीट को देखते हुए प्रवेश देने में कोई खास समस्या तो नहीं होनी चाहिए।

पैरेंट्स की परेशानी

अभिभावक रिणी अवस्थी के अनुसार ग्रेडिंग सिस्टम ने एवरेज एवं टैलेंटेड बच्चों के बीच फर्क खत्म कर दिया है। इससे हमें अपने और दूसरे बच्चों के बीच का अंतर पता नहीं चल पा रहा है। अब तो हर कोई बेस्ट हो गया है। गृहिणी संध्या शुक्ला कहती हैं, पहले मार्कशीट में अंक लिखे जाने से एक-एक प्वाइंट से कौन आगे है और कौन पीछे? यह पता चल जाता था, लेकिन अब तो अपने बच्चों के मार्क्‍स पता करना भी आसान नहीं है। 

सीबीएसई की मार्कशीट में है यह

10वीं क्लास की मार्कशीट में नौवीं की परफॉर्मेंस भी शामिल है। इसमें नौवीं क्लास से समेटिव असेसमेंट 2, 3 एवं 4 लिया गया है। साथ ही 10वीं के चारों असेसमेंट दर्शाए गए हैं। इसमें एकेडमिक एजुकेशन के साथ ही एप्टीट्यूट, क्लास में सहपाठियों एवं शिक्षकों के साथ व्यवहार को भी शामिल किया गया है। इन नियमों को ध्यान में रखते हुए यदि विद्यार्थियों को अपने 10वीं के मार्क्‍स सुधारने हों तो उन्हें नौवीं की परफॉर्मेंस पर ज्यादा ध्यान देना होगा(सुषमा बारंगे,दैनिक भास्कर,रायपुर,6.7.11)।

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