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13 जुलाई 2011

डीयूःफ्रेशर्स को नहीं होगा रैगिंग का डर

डीयू में 21 जुलाई से नया सेशन शुरू हो रहा है। यूनिवसिर्टी ने सभी कॉलेजों को आगाह कर दिया है कि जीरो रैगिंग कैंपस के लिए हर मुमकिन उपाय किए जाएं और जो भी स्टूडेंट रैगिंग में शामिल हों, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। रैगिंग के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट, एचआरडी मिनिस्ट्री, यूजीसी, राघवन कमिटी ने सख्त रुख अपनाया है और स्टूडेंट्स को यह समझ लेना चाहिए कि रैगिंग करने पर उनका करियर तो चौपट होगा ही, साथ ही उनके खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज होगा।

जहां तक डीयू की बात है तो यहां पर स्टूडेंट्स को कोई भी परेशानी होती है तो उनके पास शिकायत करने के कई ऑप्शन हैं। यूनिवसिर्टी ने नॉर्थ और साउथ कैंपस में जॉइंट कंट्रोल रूम बनाए हैं, जहां पर फोन करने पर तुरंत एक्शन लिया जाएगा। टोल फ्री एंटी रैगिंग हेल्पलाइन नंबर भी है, जिस पर 24 घंटे में कभी भी फोन किया जा सकता है। ई-मेल फैसिलिटी भी है।

यहां करें शिकायत

डीयू के नॉर्थ कैंपस के कंट्रोल रूम में 27667221 और साउथ कैंपस कंट्रोल रूम में 24119832 पर फोन किया जा सकता है। एचआरडी मिनिस्ट्री ने स्टूडेंट्स की मदद के लिए टोल फ्री एंटी रैगिंग हेल्पलाइन शुरू की थी। इस हेल्पलाइन नंबर 1800-180-5522 पर अपनी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है। यहां शिकायत आने के बाद संबंधित यूनिवसिर्टी और कॉलेज के हेड के पास जानकारी भेजी जाएगी और एक्शन होगा।


हर कॉलेज को अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर उन सभी टीचर्स के नंबर जारी करने होंगे, जिनसे स्टूडेंट्स रैगिंग की शिकायत कर सकें। प्रिंसिपल ऑफिस में कंप्लेंट बॉक्स भी होंगे। इसके अलावा कॉलेजों में एंटी रैगिंग कैंपेन चलाया जाएगा और ओरिएंटेशन प्रोग्राम में स्टूडेंट्स को रैगिंग के खतरों के बारे में बताया जाएगा। कॉलेज में एंटी रैगिंग कमिटी, एंटी रैगिंग स्कवायड और मॉनिटरिंग सेल होगी। 

रैगिंग रोकने के लिए गाइडलाइंस 

- अगर रैगिंग की कोई घटना होती है तो कॉलेज हेड को पुलिस में शिकायत करानी होगी और आरोपी के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई शुरू करनी होगी। 

- वॉर्डन, हेड ऑफ इंस्टिट्यूशन, फैकल्टी मेंबर, एंटी रैगिंग कमिटी मेंबर्स के मोबाइल फोन नंबर फ्रेशर्स को मुहैया कराए जाएं। 

- हेड ऑफ इंस्टिट्यूशन की यह जिम्मेदारी है कि फ्रेशर्स के साथ किसी भी तरह का बुरा बर्ताव न हो और जो ऐसा करता है उसे बख्शा न जाए। 

- प्राइवेट हॉस्टलों और लॉज का लोकल पुलिस से रजिस्ट्रेशन कराना होगा। प्राइवेट हॉस्टलों में रैगिंग की कोई घटना होती है तो प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता। 

- स्टूडेंट्स को सस्पेंड, रस्टिकेट करने के अलावा उसका एडमिशन कैंसल करने का प्रावधान भी कर दिया गया है। 

- आरोपी स्टूडेंट्स को हॉस्टल से भी बाहर किया जा सकता है और रैगिंग की जांच पूरी होने तक नतीजा भी रोका जा सकता है। भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

- यूजीसी ने यूनिवसिर्टी को यह अधिकार दिया है कि अगर कोई इंस्टिट्यूट इन रेगुलेशन का उल्लंघन करता है तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है और यूनिवसिर्टी की ओर से दी जाने वाली ग्रांट भी रोकी जा सकती है(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,12.7.11)। 

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