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21 जुलाई 2011

उर्दू अध्यापकों की कमी पर नाराजगी

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग के सह संजोयक डॉ. सैयद अहमद खान ने पूर्वी दिल्ली स्थित सीलमपुर क्षेत्र के सर्वोदय विद्यालयों का निरीक्षण किया। उन्हें पता चला कि उर्दू अध्यापकों की नियुक्ति गत १२ वर्षों से नहीं हुई है। साथ ही यहां टीजीटी उर्दू शिक्षकों के रिटायर होने के बाद स्थान खाली हैं। कहीं पर इनकी संख्या एक या दो है और कहीं-कहीं तो कोई उर्दू अध्यापक हैं ही नहीं।

बताया गया कि शिक्षकों की जरूरत तो है लेकिन शिक्षा विभाग इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जबकि उर्दू पढ़ने वाले बच्चों की संख्या ६० से ७० प्रतिशत है। प्रधानाचार्य ने बताया कि उर्दू अकादमी-दिल्ली की ओर से कुछ शिक्षक अस्थायी तौर पर भेजे जाते हैं। अगर पांच शिक्षकों की मांग होती है तो एक या दो ही मिलते हैं। लेकिन जाहिर है कि इससे उर्दू पढ़ने वाले बच्चों के साथ न्याय नहीं हो पाता। प्राध्यापकाओं ने यह भी बताया कि कानूनी तौर पर हर बच्चे का उसकी मातृभाषा में शिक्षा पाने का बुनियादी हक है। इसके बावजूद बच्चों के साथ नाइंसाफी हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि परीक्षा परिणाम इस बार सौ प्रतिशत रहा है लेकिन बच्चों के अंक ४० से ५० प्रतिशत तक ही रहे। यदि उन बच्चों को उर्दू के अच्छे अध्यापक मिलते तो जाहिर है परिणाम और बेहतर रहता। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को चाहिए कि वह इन बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए यथाशीघ्र शिक्षा मंत्री एवं शिक्षा विभाग को नोटिस दें(नई दुनिया,दिल्ली,21.7.11)।

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