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08 जुलाई 2011

डीयूःदाखिले की गारंटी के साथ ‘बाबा’ सक्रिय

सौ फीसदी अंक के खौफ से परेशान छात्रों के बीच दाखिले की गारंटी देने वाले बाबा, यानि पूर्व छात्र नेता इन दिनों खासे सक्रिय नजर आ रहे हैं। दाखिले की दौड़ में जहां छात्रों का बड़ा वर्ग कटऑफ के उतार पर नजर रखते हुए आस लगाए बैठा है,वहीं दूसरी ओर छात्रों का एक ऐसा तबका भी है जो हर हालत में दाखिला दिलाने का पक्का भरोसा देने वाले इन बाबाओं की शरण में जा पहुंचा है। ये पूर्व छात्र नेता भी कॉलेजों में अपनी धाक दिखाकर भोले-भाले छात्रों को गुमराह करने में जुटे हैं।

रामजस कॉलेज में उजागर हुए फर्जीवाड़े के मामले में जिस तरह से किरोड़ीमल कॉलेज का एक छात्र फंसा है और उसे दाखिले के लिए भेजने का आरोप रामजस कॉलेज के ही एक पूर्व छात्र व उसके साथियों पर लगा है, उससे साफ हो जाता है कि डीयू में दाखिले की गारंटी लिए नए-पुराने, छोटे-बड़े कई छात्र व दाखिला माफिया सक्रिय है।


रामजस कॉलेज में ही ईसीए ट्रॉयल के दौरान एक ऐसा छात्रों का समूह ऑडिटोरियम में पहुंचा, जिसने दाखिले के लिए वहां मौजूद कॉलेज के छात्रों को धमकाने की कोशिश की। उनका कहना था कि वे दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ से आए हैं और उनके समर्थक छात्रों को दाखिले में मदद की जाए, लेकिन उनकी बात नहीं बनी।

एक कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया कि उनके पास अक्सर ऐसे छोटे-बड़े छात्रनेता आते हैं, जिनकी मांग होती है कि मूल प्रमाणपत्र लिए बिना ही दाखिला दे दिया जाए। कई बार तो ये पूर्व छात्र व छात्र नेता दाखिला कर रहे कर्मचारियों व शिक्षकों को धमकाने का भी प्रयास करते हैं। ऐसे में न सिर्फ दाखिला प्रक्रिया बाधित होती है, बल्कि दाखिले के लिए पहुंचे सामान्य छात्र भी बेवजह परेशान होते हैं।

इस बाबत जब डूसू सचिव नीतू डबास से पूछा गया तो उनका कहना था कि छात्रनेता होने के नाते वह भी छात्रों की मदद के लिए कॉलेज जाती हैं, लेकिन कभी भी उन्होंने नियमों के खिलाफ किसी छात्र की मदद के लिए कॉलेज प्रशासन पर दबाव नहीं डाला है। 

नीतू से जब डूसू के नाम पर ऐसा करने वालों के विषय में पूछा गया तो उनका कहना था कि उन्हें भी ऐसी बाते सुनने को मिलती रहती हैं(दैनिक भास्कर,दिल्ली,8.7.11)।

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