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08 जुलाई 2011

डीयूःकहां बैठेंगे छात्र, कहां होगी पढ़ाई

डीयू के कॉलेजों में क्षमता से अधिक दाखिले कॉलेज प्रशासन के लिए सिरदर्द बन गया है। प्राचार्यो को चिंता सता रही है कि अब कहां बैठेंगे छात्र, कहां होगी पढ़ाई? अगर कॉलेजों में पढ़ाई के लिए नए सेक्शन बनाए गए तो वहां पढ़ाने के लिए प्राध्यापकों भर्ती भी करनी होगी और अभी तो ओबीसी कोटे के प्राध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया ही चल रही है, जबकि ओबीसी आरक्षण लागू हुए तीन साल से अधिक का समय बीत चुका है। बता दें कि डीयू में करीब 54 हजार सीटों पर दाखिले होते हैं, जिन्हें पढ़ाने के लिए करीब 10 हजार प्राध्यापकों की जरूरत है। लेकिन विश्वविद्यालय में अभी आठ हजार प्राध्यापक ही कार्यरत हैं। जिसमें तदर्थ (एडहोक) प्राध्यापकों की संख्या करीब एक हजार है। दयाल सिंह कॉलेज में 1400 सीटें हैं, लेकिन यहां दाखिले 1800 से अधिक हो चुके हैं, जबकि ओबीसी कोटे में दाखिला प्रक्रिया अभी भी जारी है। कुछ कॉलेज ने तो छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पोर्टा केबिन में क्लास रूम बनवाने की कवायद शुरू कर दी है। दयाल सिंह सांध्य कॉलेज के प्राचार्य डॉ. दीपक मल्होत्रा कहते हैं कि छात्रों की संख्या के अनुसार कमरों की कमी को देखते हुए कॉलेज कमेटी से 10 पोर्टा कैबिन बनाने की संस्तुति ले ली है। जहां तक प्राध्यापकों की कमी की बात है तो इस बारे में कॉलेज विश्वविद्यालय प्रशासन को सूचित करेगा। रामलाल आनंद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि एक कट ऑफ में दाखिले के लिए चार दिन का समय काफी ज्यादा होता है। अधिक संख्या में छात्रों के दाखिले होने से कॉलेजों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ता है। प्राध्यापकों की नियुक्ति भी एक समस्या बनती है(एस के गुप्ता,दैनिक जागरण,दिल्ली,8.7.11)।

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