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21 जुलाई 2011

राजस्थानःसीकर में लड़कियां मनचलों से परेशान

सीकर शहर में छह से अधिक महिला कालेज और दो दर्जन गर्ल्स स्कूल हैं। बेहद संवेदनशील होने के बावजूद पुलिस या कालेज प्रशासन की ओर से छात्राओं की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। स्कूल लगने और छूटने के समय स्कूल-कालेज के सामने असामाजिक तत्वों की भीड़ रहती है।
कई बार छेड़छाड़ की घटनाएं हो चुकी हैं। सोमवार को छात्राओं से छेड़छाड़ करने वालों को सबक सिखाने के लिए भी मोहल्ले के लोगों को आगे आना पड़ा। इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सवा साल पहले तत्कालीन एसपी विकास कुमार ने ऐसे संवेदनशील प्वाइंट्स पर महिला कांस्टेबल और जवानों की ड्यूटी लगाई थी, जिससे छेड़छाड़ की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगा था। मंगलवार को भास्कर टीम ने ऐसे स्थानों पर जाकर सुरक्षा संबंधी हालात देखे।
फतेहपुर रोड: मारु गर्ल्स स्कूल
शहर का बड़ा सरकारी स्कूल होने के कारण गांवों से लेकर शहर तक की छात्राएं यहां पढ़ने आती हैं। स्कूल छूटने के वक्त अमूमन असामाजिक तत्व आकर खड़े हो जाते हैं। दो साल पहले प्रशासन ने फतेहपुर बस स्टैंड को स्कूल गेट के पास लाकर शिफ्ट कर दिया, जिससे छात्राओं की परेशानी और बढ़ गई, जिसको लेकर विरोध भी हो चुका है।
घंटाघर: कृष्ण सत्संग बालिका महाविद्यालय

शहर के बीचोंबीच होने के कारण यहां भीड़भाड़ रहती है। कॉलेज के सामने दुकान करने वालों के पास मनचले आकर खड़े हो जाते हैं और छात्राओं से छेड़छाड़ करते हैं। साल भर पहले तत्कालीन एसपी ने इस कॉलेज के बाहर दो पुलिस कांस्टेबल की ड्यूटी लगाई थी, लेकिन उनके जाने के बाद ही जाप्ता हटा दिया गया।
सार्वजनिक स्थलों पर महिला कांस्टेबल सिर्फ दो
शहर की ट्रैफिक व्यवस्था और सार्वजनिक स्थानों पर लड़कियों से होने वाली छेड़छाड़ को रोकने के मकसद से साल भर पहले 17 महिला कांस्टेबल को ट्रैफिक में लगाया गया था। मौजूदा समय में ट्रैफिक में सिर्फ दो महिला कांस्टेबल हैं।
बाहर नहीं जातीं महिला थाने की कांस्टेबल
महिला थाने में छह महिला कांस्टेबल की ड्यूटी है, लेकिन कोई महिला जवान थाने से बाहर नहीं निकलती। पुलिस लाइन और थानों में तैनात महिला कांस्टेबल से भी उसी समय काम लिया जाता है, जब किसी महिला आरोपी की गिरफ्तारी या पूछताछ की जाती है। महिला थाना होने के नाते छात्राओं के कॉलेज और स्कूल के बाहर इन्हें निगरानी में लगाया जा सकता है(दैनिक भास्कर,सीकर,21.7.11)।

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