मुख्य समाचारः

सम्पर्कःeduployment@gmail.com

04 जुलाई 2011

यूपी में में कॉलेजों की बाढ़ लेकिन छात्रों का सूखा

पिछले कुछ सालों से प्रदेश में इंजीनियरिंग संस्थानों की बाढ़ सी आ गई है। 90 के दशक में मात्र पांच कॉलेजों से बढ़कर उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय (अब जीबीटीयू एवं एमटीयू) के आज 800 से अधिक कॉलेज हो गए हैं। वर्ष 2005 से अब तक कॉलेजों की संख्या चार गुना तक बढ़ी है। वहीं इससे ठीक विपरीत पिछले दो सालों से छात्र संख्या निरंतर घटती जा रही है। यूपीटीयू से संबद्ध कॉलेजों में वर्ष 2005 के बाद बी-टेक, बी-फार्मा, एमबीए, एमसीए, बी-एचएमसीटी और बी-आर्क सभी कोर्स संचालित होने लगे थे। तब बी-टेक के कॉलेज 84, एमबीए के कॉलेज 93 और एमसीए के कॉलेज 87 थे। एमसीए के कॉलेज वर्ष 2009 तक बड़ी तेजी से बढ़कर 131 पहुंचे लेकिन वर्ष 2010 में कॉलेज सिमट गए और संख्या 134 ही हो सकी। उधर, बीटेक कॉलेज 302 और एमबीए के कॉलेज 407 तक पहुंच गए हैं। कुछ कॉलेजों में दोनों कोर्स पढ़ाए जा रहे हैं वह संख्या इनमें कॉमन है। 25 नए इंजीनियरिंग कॉलेजों को और हरी झण्डी दी जा चुकी है। इस वक्त प्रदेश में जीबीटीयू और एमटीयू से संबद्ध कॉलेजों की कुल संख्या 800 के पार पहुंच गई है। वहीं छात्रों की बात करें तो राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या वर्ष 2009 के बाद घटना शुरू हो गई है। सबसे ज्यादा गिरावट बी-टेक में दर्ज की गई है। एमबीए में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या भी वर्ष 2009 से पहले की तुलना में काफी कम है, हालांकि यह पिछले साल से दो हजार बढ़ी जरूर है। एमसीए का आंकड़ा इस बार दस हजार की संख्या भी नहीं छू सका। जानकार कहते हैं कि यूपीटीयू का ब्रांड नेम बदलना भी इस दुर्दशा के पीछे प्रमुख कारण है। वे मानते हैं कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में मची मनमाफिक फीस वसूली की लूट और शिक्षा की घटती गुणवत्ता के कारण छात्रों का मोह बी-टेक, एमबीए, एमसीए के प्रति घटता जा रहा है(पारितोष मिश्र,दैनिक जागरण,लखनऊ,4.7.11)।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी के बगैर भी इस ब्लॉग पर सृजन जारी रहेगा। फिर भी,सुझाव और आलोचनाएं आमंत्रित हैं।