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04 जुलाई 2011

असम में शिक्षामंत्री-शिक्षकों में टकराव

असम में शिक्षा मंत्री डा. हिमंत विश्व शर्मा और राज्य के कालेज शिक्षकों के बीच टकराव की सिथति पैदा हो गई है।

शिक्षा मंत्री के बनने के बाद से डा. शर्मा राज्य के शिक्षा में व्यापक बदलाव के लिए अभियान चला रहे हैं। वे चाहते हैं कि शिक्षक सिर्फ पढ़ाने का काम करें। जो शिक्षक राजनीति या पत्रकारिता कर रहे हैं, वे भी तय कर लें कि उन्हें क्या करना है। शिक्षक का काम जारी रखना है तो दूसरे काम छोड़ने होंगे। इसके लिए जरूरी निर्देश जारी किए गए हैं।

सरकार का यह निर्देश राजनीति करने वाले शिक्षक हजम नहीं कर पा रहे हैं। असम में ऐसे शिक्षकों की अच्छी संख्या है, जो सक्रिय राजनीति के साथ शिक्षण का काम भी कर रहे हैं। कई तो विधायक या मंत्री रह चुके हैं। चुनाव में हारने के बाद वे अपने शिक्षण के पेशे में लौट आते हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री चाहते हैं कि शैक्षणिक माहौल बनाने के लिए उन्हें सिर्फ पढ़ाना होगा। इस पर वे कोई समझौता करने के मूड में नहीं हैं।


लेकिन राजनीति कर रहे शिक्षकों ने इस शिक्षा मंत्री की तानाशाही बताया है। अगप के पूर्व विधायक रहे नगांव कालेज के शिक्षक गिरींद्र बरुवा ने कहा कि यह तो सरासर अन्याय है। सरकारी कालेज के शिक्षक राजनीति नहीं कर सकते हैं, लेकिन सरकार से मदद पाने वाले कालेजों के शिक्षक राजनीति करने को स्वतंत्र हैं(नई दुनिया,दिल्ली संस्करण,4.7.11 में गुवाहाटी की रिपोर्ट))।

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