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17 जुलाई 2011

उत्तराखंड में आरटीई : नहीं हुआ बच्चों की फीस पर फैसला

प्रदेश सरकार के बच्चों की फीस के बारे में फैसला न ले पाने के कारण कहीं शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत गरीब बच्चे निजी स्कूलों में प्रवेश से वंचित न रह जाए। प्रदेश के वित्त विभाग ने अब तक आरटीई के तहत विद्यालयी शिक्षा विभाग की ओर से प्रस्तावित खर्च को हरी झंडी नहीं दी है। बता दें कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों को उसके आस-पास रहने वाले वंचित वर्ग के बच्चों को अपनी सबसे छोटी कक्षा में 25 फीसद सीटों पर प्रवेश देना है। ऐसे में फीस न मिलने से बड़ी संख्या में बच्चे पब्लिक स्कूलों में प्रवेश से वंचित रह सकते हैं। शिक्षा विभाग का आकलन है कि आरटीई को लागू करने के लिए राज्य सरकार को करीब 16 हजार रुपये प्रति वर्ष हर विद्यार्थी खर्च वहन करना होगा। इस प्रस्ताव की व्यावहारिकता पर अभी वित्त विभाग विचार कर रहा है। राज्य परियोजना कार्यालय के मुताबिक प्रमुख सचिव वित्त के फीस के बारे में फैसला न लेने के कारण सारा मामला लटक सकता है। केंद्र के अनुमान के मुताबिक उत्तराखंड में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करने पर कम से कम 1450 करोड़ रुपये खर्च होंगे जो बाद में कानून के वास्तविक रूप से लागू होने पर और बढ़ सकता है। इस धन से स्कूल के भवन, फर्नीचर, शिक्षकों की तनख्वाह आदि दी जानी है। सर्व शिक्षा अभियान की राज्य परियोजना निदेशक सौजन्या का कहना है कि हालांकि प्रदेश में आरटीई की धीमी शुरूआत हुई है, लेकिन अब तक निजी स्कूलों में करीब 3000 बच्चों को प्रवेश दिया जा चुका है। हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में देहरादून के मुकाबले ज्यादा बेहतर काम हुआ है। प्रवेशों पर निगाह रखने के लिए पिछले दिनों मुख्य सचिव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक भी ली थी। आरटीई के तहत एडमिशन की व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए प्रदेश में हर जिले में निजी स्कूलों में प्रवेश की अंतिम तिथि अलग-अलग रखी गई है। रुद्रप्रयाग जिले में तो प्रवेश की अंतिम तिथि 20 जुलाई रखी गई है। हालांकि कक्षा एक में प्रवेश होने से बच्चों को कोई समस्आ नहीं आएगी लेकिन स्कूल छोड़ चुके बच्चों के लिए ब्रिज कोर्स भी शुरू किया जा रहा है। देहरादून में जरूर बच्चों के समायोजन को लेकर समस्या आ रही है लेकिन विद्यालयी शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक हेल्पलाइन नंबर 18001803132 भी शुरू किया है जिसके जरिए बच्चों के अभिवावकों की काउंसिलिंग की जा रही है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,17.7.11)।

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